Bihar Girl Ratio: बिहार में बेटियों की संख्या में कमी आई है. स्थिति ऐसी है कि पटना सहित राज्य के 29 जिलों में लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है. यहाँ तक कि बिहार में बेटियों की संख्या बढ़े और बालिका शिशु जन्मदर में वृद्धि हो इसके लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना चलाई जा रही है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार के स्तर पर 'बेटी बचाओ- बेटी पढाओ' योजना भी चल रही है. बावजूद इसके बिहार में सेक्स रेसियो कम गया है.
समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने भी पिछले दिनों बिहार विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा है कि बिहार में लिंगानुपात में कमी आई है. राज्य के 38 जिलों में 29 जिले में लिंगानुपात में गिरावट आई है. वहीं एक जिले में लिंगानुपात स्थिर बना है. राहत की बात है कि आठ जिले में लिंगानुपात में वृद्धि हुई है. जिन जिलों में लिंगानुपात में बढ़ोत्तरी हुई है उसमें मधुबनी में 815 से बढ़कर 819 लिंगानुपात हो गया है. रोहतास में 863 से 870, औरंगाबाद में 876 से 877, सीवान में 851 से 881, शेखपुरा में 880 से 892 लिंगानुपात हो गया है. वहीं राज्य के शेष सभी जिलों में लिंगानुपात में कमी आई है यानी बेटियों के जन्मदर में कमी आई है.
पटना में भी कम गई बेटियां :
पटना जिले में भी लिंगानुपात में कमी आई है. जिले की मौजूदा अनुमानित आबादी 82 लाख 87 हजार 812 है. इस आधार में पटना में सेक्स रेसियो 1000/926 होना चाहिए. लेकिन इस वर्ष का पटना का लिंगानुपात 901 है जो पिछले वर्ष 902 था. यानी तुलनात्मक रूप से पटना में भी बेटियों की संख्या कम गई. आंकड़े बताते हैं कि पटना के कुल 14 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम 881 कुम्हरार विधानसभा में लिंगानुपात है जबकि सबसे ज्यादा मसौढ़ी में 926 का लिंगानुपात है.
बेहद चिंताजनक होती स्थिति
हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम यानी एचएमआईएस के तरफ जारी ताजा आंकड़ों की मानें तो बिहार में प्रति 1000 हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या केवल 882 ही रह गई है. जो पहले की अपेक्षा काफी कम है. 2022-23 के आंकड़ों की अगर बात करें तो 1000 लड़कों पर 894 लड़िकयां और 2021-22 में 1000 लड़को पर 914 लड़कियां थी. इसका मतलब साफ है कि बिहार में लड़कियों की संख्या कमी हो रही है.