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बिहार के 71,863 स्कूलों में पानी की गुणवत्ता की होगी जांच, जानें क्यों लिया गया इतना बड़ा फैसला?

कुछ स्कूलों में अशुद्ध पानी के कारण मिड-डे मील के लिए आसपास के घरों पर निर्भर रहना पड़ता है। पीएचईडी विभाग द्वारा पानी की गुणवत्ता, टंकी की सफाई, पाइपलाइन की स्थिति, पानी के रंग और उसमें मिनरल की मात्रा आदि की जांच की जाएगी।

 बिहार के 71,863 स्कूलों में पानी की गुणवत्ता की होगी जांच, जानें क्यों लिया गया इतना बड़ा फैसला?
बिहार के सरकारी स्कूलों में पानी की जांच- फोटो : freepik

Bihar news: बिहार के 71,863 स्कूलों में पीने के पानी की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। इन स्कूलों में करीब 1.40 करोड़ विद्यार्थी पढ़ते हैं। जांच का मुख्य उद्देश्य छात्रों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। यह कदम छात्रों और शिक्षकों की अशुद्ध पानी की शिकायतों के बाद उठाया गया है। कुछ स्कूलों में अशुद्ध पानी के कारण मिड-डे मील के लिए आसपास के घरों पर निर्भर रहना पड़ता है। पीएचईडी विभाग द्वारा पानी की गुणवत्ता, टंकी की सफाई, पाइपलाइन की स्थिति, पानी के रंग और उसमें मिनरल की मात्रा आदि की जांच की जाएगी।

पेयजल समस्या वाले क्षेत्र

गंगा किनारे के जिले: पटना, बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर, खगड़िया, कटिहार, भागलपुर और लखीसराय के 88 ब्लॉकों में पानी की समस्या पाई गई है।

पहाड़ी जिलों: कैमूर, गया समेत 8 जिलों के कई स्कूलों में पेयजल को लेकर शिकायतें हैं।

शिक्षा विभाग का दावा है कि शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाती है। विभाग समय-समय पर पानी की जांच भी कराता है।

जांच के मुख्य बिंदु

दूषित पानी मिलने पर संबंधित पेयजल स्रोत बंद किया जाएगा।

सरकारी स्कूलों में चापाकल और टंकी की सफाई कराई जाएगी, और सफाई की तारीख अंकित की जाएगी।

पानी सप्लाई वाले पाइप और पानी की गुणवत्ता की जांच की जाएगी।

पानी में आवश्यक रसायन मिलाए जाएंगे।

जरूरत के अनुसार स्कूलों में सबमर्सिबल पंप लगाए जाएंगे।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना को लागू किया जाएगा।

रिकॉर्ड प्रबंधन और रिपोर्टिंग

पानी की जांच का रिकॉर्ड शिक्षा विभाग को सौंपा जाएगा।

रिकॉर्ड में स्कूल का नाम, प्रखंड, पंचायत और पेयजल स्रोत की जानकारी यू-डायस पर दर्ज की जाएगी।

ग्रामीण बनाम शहरी क्षेत्र की स्थिति

शहरी क्षेत्र: अधिकांश स्कूलों में पाइपलाइन वाटर सप्लाई की सुविधा है।

ग्रामीण क्षेत्र: कई स्कूलों में अब भी छात्र चापाकल पर निर्भर हैं, जो कई बार दूषित पानी की समस्या का कारण बनता है।

पेयजल की समस्या के मामले

फरवरी (भोजपुर): बड़ौरा पंचायत के उर्दू प्राथमिक विद्यालय चइयाचक शिवपुर में चापाकल का दूषित पानी पीने से एक दर्जन छात्र बीमार हो गए।

सितंबर (नालंदा): दूषित पानी पीने से 9 बच्चे बीमार हुए।

नवंबर (सुल्तानगंज): प्राथमिक विद्यालय आजाद नगर पनसल्ला में चापाकल खराब था। नई बोरिंग के बाद भी गंदा पानी निकल रहा था।

शिक्षामंत्री का बयान

शिक्षामंत्री सुनील कुमार ने कहा:

"स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ पानी, शौचालय और अन्य सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। किसी भी समस्या को दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्रवाई हो रही है।"

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