PATNA - जमीन के स्वामित्व को लेकर होनेवाले विवादों को लेकर आज राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा नई नियमावली जारी कर दी है। इन नियमावली के बाद माना जा रहा है कि जमीन विवाद से जुड़े कई मामलों को निपटारा हो जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के एसीएस दीपक कुमार ने यह दिशा निर्देश जारी किए। जिसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
पिता की जमीन पर महिलाओं का नहीं होगा अधिकार
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के जारी नए नियमावली के अनुसार ऐसी महिलाएं जिन्होंने अपने पिता की जमीन में स्वामित्व का त्याग करने का शपथ पत्र नहीं दिया है तो उनका अधिकार उस जमीन पर बना रहेगा। इसके साथ ही रैयतों को वंशावली की घोषणा में बहन-बेटियों का नाम दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है।
सिर्फ इन परिस्थिति में पिता की संपत्ति से बेटी होगी अलग
नए बन रहे खतियान में महिला द्वारा संपत्ति का परित्याग करने अथवा पिता द्वारा स्व अर्जित भूमि की वसीयत में पुत्री का नाम दर्ज न करने अथवा न्यायालय से हुए बंटवारे में पुत्री-बहन का नाम नहीं रहने की स्थिति में ही महिलाओं को अपने अंश की प्राप्ति नहीं होगी। अन्य सभी दशाओं में प्रत्येक महिला को अपने पिता की संपत्ति में अपने हिस्से की प्राप्ति होगी। वंशावली में बहन-बेटियों का नाम दर्ज करना अनिवार्य है। अगर कोई महिला शपथ पत्र के माध्यम से संपत्ति का परित्याग करती हैं तो खाता में उनका नाम दर्ज नहीं होगा।
जमीन की लगान रसीद है तो करना होगा यह काम
इसी तरह किसी रैयत का जमीन पर शांतिपूर्ण दखल-कब्जा है। स्वामित्व के नाम पर सिर्फ लगान रसीद है।ऐसे मामलों के बारे में कहा गया है कि भूमि सर्वेक्षण में ऐसे भूखंडों के चौहद्दीदारों के बयान पर एक निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा। चौहद्दी की किसी जमीन में उस खेसरा के स्वामी के रूप में रैयत का नाम हो तो उनके नाम से खाता खुल सकता है।
बिहार सरकार के नाम से खुलेगा खाता
अगर रैयत के नाम पर खेसरा पर दखल कब्जा है। न जमाबंदी कायम है और न रसीद कट रही है। ऐसी जमीन के मामले में कहा गया है कि इसका खाता अनाबाद बिहार सरकार के नाम से खुलेगा। अभियुक्ति कालम में अवैध दखलकार का नाम दर्ज होगा।
सरकारी जमीन पर हुए निर्माण पर यह दिशा निर्देश
कुछ ऐसी भी जमीन है, जो सर्वे-खतियान में अनाबाद बिहार सरकार के खाते में दर्ज है। उस पर मकान बना हुआ है। अभियुक्ति के कालम में दखलकार का नाम दर्ज है। इन मामलों में दखल के उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर रैयती खाता खोला जाएगा।
खतियान में दखलकार दर्ज होने अथवा न होने दोनों मामले में क्रमश: उनके वंशज अथवा वर्तमान दखलकार क्रेता के दखल के आधार पर उनके नाम से खाता खोला जाएगा। वंशावली को लेकर दिशा निर्देश में फिर कहा गया है कि रैयत स्वयं इसे समर्पित करेंगे।
ऐसी स्थिति में बंटवारा होगा मान्य
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने साफ कर दिया है कि आपसी सहमति के आधारित सभी पक्षों के बीच हुआ हस्ताक्षरित बंटवारा मान्य है। इस आधार पर सभी पक्षों का खाता खुलेगा। हिस्सेदारों में असहमति होने पर संयुक्त खाता खुलेगा। अगर बंटवारा निबंधित और सक्षम न्यायालय द्वारा किया गया है तो उसके आधार पर भी हिस्सेदारों का अलग-अलग खाता खुलेगा।
कैडेस्ट्रल सर्वे में रैयती जमीन पर यह निर्देश
यदि कोई खेसरा कैडेस्ट्रल सर्वे में रैयती है और रिवीजनल सर्वे में अनाबाद बिहार सरकार या अनाबाद सर्व साधारण दर्ज है और सिविल सूट में रैयत के पक्ष में निर्णय हुआ है तो खेसरा रैयती माना जाएगा। अगर क्रेता का जमीन पर शांतिपूर्ण दखल है तो केवालाका निबंधन कार्यालय से सत्यापन करा कर क्रेता के नाम से खाता खोला जाएगा।
बंटवारे से असहमति
विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त की किसी प्रक्रिया में कोई हिस्सेदार पूर्व में किए गए बंटवारे पर असहमत होते हैं तो वापस संयुक्त खाता खोला जाएगा। दिशा निर्देश में कहा गया है कि रैयत अगर जमाबंदी अथवा लगान रसीद अद्यतन नहीं करा पाए हैं तो खतियान में स्वामित्व की स्थिति प्रभावित नहीं होगी।
पूर्व में गैरमजरूआ जमीन की बंदोबस्ती के आलोक में रैयतों के पास अगर कागजात उपलब्ध नहीं है तो भूमिहीन श्रेणी के इन रैयतों को अंचलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर स्वामित्व बना रहेगा।