PATNA - देश में बिहार उन राज्यों में शामिल है, जहां सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं। परिवहन विभाग की कोशिशों के बावजूद हादसे और इन हादसों में मरनेवाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बिहार में होनेवाले हादसों को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें बीते साल सिर्फ नौ महीने 6680 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
हैरानी की बात यह है कि ज्यादातर सड़क हादसे एनएच पर हुए हैं। जिनकी देखरेख एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और पथ निर्माण विभाग का एनएच डिविजन करता है। बिहार में बीते साल हुए हादसे 86 फीसदी सड़कें एनएचएआई के अधीन है।
इन एनएच पर सबसे ज्यादा सड़क हादसे
रिपोर्ट के अनुसार 2024 में सबसे ज्यादा 539 दुर्घटनाएं एनएच 31 रजौली-बख्तियारपुर-मोकामा-पूर्णिया-किशनगंज पर हुईं। इनमें से 431 लोगों की जान गई। इसी तरह एनएच 28 गोपालगंज-मुजफ्फरपुर-बरौनी पर 459 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से 406 लोगों की मौत हुई।
तीसरे स्थान पर एनएच 30 मोहनियां-आरा-पटना-बख्तियारपुर रोडवेज है। जहां 367 हादसे हुए और इसमें 299 लोगों की मौत हुई। वहीं, एनएच 57 मुजफ्फरपुर-बरौनी-पूर्णिया पर 326 सड़क हादसे हुए, जिनमें 297 लोगों ने अपनी जान गंवाई। एनएच 19 छपरा-हाजीपुर-पटना पर 268 हादसे हुए जिनमें से 216 लोगों की मौत हुई। वहीं एनएच दो जीटी रोड पर 183 हादमों में से 85 लोगों की मौत हुई।
2024 में इन जिलों में सबसे ज्यादा सड़क हादसे
2024 में बिहार में कुछ जिले ऐसे भी रहे हैं,जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए, इनमें मधेपुरा, जहानाबाद, पटना, रोहतास, सुपौल, पूर्णिया, सहरसा, किशनगंज, शिवहर, मधुबनी, गया, अररिया, सारण, समस्तीपुर, कैमूर, दरभंगा, लखीसराय, सीतामढ़ी, सीवान, नालंदा, खगड़िया और बेगूसराय शामिल हैं।
इन जिलों में हादसे में सबसे ज्यादा मौत
वहीं खगड़िया, अररिया, जहानाबाद, किशनगंज, सहरसा, पटना, कैमूर, पूर्णिया, सुपौल, मधेपुरा, मधुबनी, सीतामढ़ी, रोहतास, समस्तीपुर, शिवहर, गया, सारण, गोपालगंज व पूर्वी चंपारण ऐसे जिले रहे, जहां सबसे ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई।
एनएच पर हादसों की क्या है वजह
एनएच पर ज्यादा सड़क हादसे को लेकर सड़क विशेषज्ञों का मानना है कि एनएच पर लोग ज्यादा रफ्तार में गाड़ियों चलाते हैं। ऐसे में अगर अचानक सड़क में टर्न हो तो वहां हादसे होते हैं। एनएच को जोड़ने वाली सड़क के बिंदु (चौराहा) पर भी अधिक हादसे होते हैं। तेज रफ्तार से चलने वाली गाड़ियां अचानक एनएच पर चलने वाली गाड़ियों से टकरा जाती हैं। इसके अलावा बसावटों से सड़क के गुजरने पर आम लोग (पैदल यात्री) भी गाड़ियों की चपेट में आ जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि एनएच पर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई प्रयास करने होंगे। खासकर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में अंडर पास का निर्माण करना होगा, ताकि एनएच के बदले लोग सुरक्षित मार्ग से आवाजाही कर सकें।
इसके साथ ही बसावटों के पास फुटओवर ब्रिज का निर्माण किया जाना चाहिए। एनएच पर एक निश्चित अंतराल की दूरी पर एम्बुलेंस का भी होना जरूरी है, ताकि हादसे होने पर जान-माल की सुरक्षा की जा सके। इसके लिए एनएच पर आपातकालीन नंबर लिखा होना चाहिए।
वर्ष - दुर्घटना - मौत
2017 - 8855 5554
2018 - 9600 6729
2019 - 10007 7205
2020 - 8639 6699
2021 - 9553 7660
2022 - 10801 8898
2023 - 11014 8873
सितं 2024 8452 6690