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Bihar News: वाह रे सुशासन ! नवादा में मौत के बाद भी नहीं मिलती एम्बुलेंस, ठेले पर लाश ढोकर ले जाने की है मजबूरी

Bihar News: बिहार के नवादा में अस्पतालों में शव वाहन नहीं होने के कारणों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग शव को ठेले से ले जाने पर मजबूर हैं।

Nawada news
ambulance is not available in hospital- फोटो : Reporter

Bihar News: बिहार सरकार स्वास्थ्य विभाग के दुरुस्त होने के कई दावे करती है। लेकिन राज्य से आए दिन कोई ना कोई ऐसा मामला सामने आ ही जाता है, जिससे यह सवाल खड़ा हो जाता है कि या वाकई बिहार का स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर है। कई बार एंबेुलेंस के आभाव में मरीज तड़पतड़प कर जान दे देते हैं तो कई मार मरे हुए शख्स को ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस नहीं मिलती। ऐसा ही एक मामला एक बार फिर नवादा से सामने आया है। जहां जिले में शव वाहन की उपलब्ध नहीं है। 

अस्पताल में एक भी शव वाहन नहीं

जानकारी अनुसार नवादा में एक भी शव वाहन उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण जरुरतमंद लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आवश्यकता पड़ने पर लोगों को निजी एंबुलेंस या फिर ठेले का सहारा लेना पड़ता है। कई बार निजी एंबुलेंस भी शव ले जाने के तैयार नहीं होते हैं। ज्यादा जोर देने पर एंबुलेंस धोने समेत अन्य नाम पर अतिरिक्त राशि की मांग की जाती है। जो गरीब मरीजों के लिए परेशानी भरा सबब होता है। हालांकि पूर्व में राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से एंबुलेंस सेवा देने वाली एजेंसी के माध्यम से एक शव वाहन उपलब्ध कराया गया था। लेकिन वह पूरी तरह से खराब हो चुका है और उपयोग करने की स्थिति में नहीं है। फलस्वरुप जरुरतमंद लोगों को शव ढोने के लिए ठेले का सहारा लेना पड़ता है।

 ठेले से ले जाना पड़ता है शव

ऐसे में इतने समय तक शव पड़े रहने के कारण उससे बदबू निकलने लगती है। ठेले से शव ले जाने के क्रम में दुर्गंध से लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं। संक्रमण का भी खतरा रहता है। हाल में ही समीप रेलवे लाइन के किनारे से अज्ञात युवक का शव बरामद किया गया था। दो दिन पहले शव का अंतिम संस्कार कराया गया। बताया कि शव वाहन नहीं होने की स्थिति में ठेले से शव को अंतिम संस्कार के लिए सदर अस्पताल से श्मशान घाट ले गए। ठेले वाले भी तैयार नहीं हो रहे थे। जिसके कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।  लेकिन यह सेवा दो महीने से अधिक समय से ठप पड़ा है। बताया जाता है कि कुछ महीने पहले शव वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके बाद संबंधित एजेंसी पीडीपीएल ने उसकी मरम्मत नहीं कराई। जिसके बाद शव वाहन पूरी तरह से बेकार हो गया और उपयोग लायक नहीं रह गया। 


पूरी तरह ठप है सेवा

इसके बाद से यह सेवा पूरी तरह ठप पड़ गई और शवों को ढोने के लिए ठेले के सहारे छोड़ दिया गया। हालांकि कई एंबुलेंस चालक मानवता का परिचय देते हुए उचित दर पर शव ले जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन अज्ञात शवों के मामले में समस्या विकट हो जाती है। सिविल सर्जन डॉ. नीता अग्रवाल कहती हैं कि जिला स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक को निर्देश दिया गया है कि एंबुलेंस 102 की पूरी पड़ताल कर रिपोर्ट दें, ताकि राज्य स्वास्थ्य समिति को पूरी स्थिति से अवगत कराया जा सके। साथ ही नया शव वाहन उपलब्ध कराने के लिए नई एजेंसी को कहा जाएगा। सिविल सर्जन ने कहा कि जिला स्वास्थ्य महकमा मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए कटिबद्ध है। इसके लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं।

 नवादा से अमन की रिपोर्ट

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