Bihar News: सोनपुर मेला, जिसे "हरिहर क्षेत्र मेला" के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के सबसे प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह मेला अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मेले में जहां एक ओर पारंपरिक हस्तशिल्प, पशु व्यापार और लोककलाओं का प्रदर्शन होता है, वहीं दूसरी ओर थिएटर जैसे मनोरंजन के साधन भी आकर्षण का केंद्र होते हैं। यहां का थियेटर हमेशा से सुर्खियों में रहा है। थिएटर में नृत्य और प्रदर्शन करने वाली कलाकारों की ज़िंदगी के कई अनछुए पहलू हैं, जो आमतौर पर लोगों की नजरों से छुपे रहते हैं। इन महिलाओं को "नाचने वाली" कहकर तिरस्कृत करना समाज की उस मानसिकता को दिखाता है, जो उनके संघर्ष और जीवन के सच को नजरअंदाज करती है।
थिएटर में कई बार महिलाएं अपनी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए थिएटर में काम करने को मजबूर होती हैं। अशिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी भी एक बड़ा कारण है।तो कुछ महिलाएं अपनी कला को मंच पर लाना चाहती हैं और इसे अपनी पहचान बनाना चाहती हैं।थिएटर का मंच उन्हें मनोरंजन उद्योग में जाने का एक माध्यम लगता है।दरअसल थिएटर में कलाकारों का प्रदर्शन मनोरंजन और राहत का साधन बनता है।समाज का एक वर्ग महिलाओं के इस पेशे को केवल मनोरंजन के नजरिए से देखता है, जो उनकी मेहनत और संघर्ष को अनदेखा करता है।
हालांकि समाज उन्हें सम्मान की नजर से नहीं देखता और अक्सर उनका उपहास करता है।थिएटर में काम करने वाली महिलाओं को कई बार असुरक्षित माहौल का सामना भी करना पड़ता है। कई नर्तकियां अपने परिवार से कट जाती हैं क्योंकि परिवार उनके काम को स्वीकार नहीं करता। वहीं सोनपुर मेला और "पायल एक नजर थिएटर" जैसी जगहें केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे उन कहानियों का मंच भी हैं, जो संघर्ष, सपनों और वास्तविकताओं का मिश्रण हैं। समाज को इन कलाकारों के जीवन को समझने और उनकी कला को सम्मान देने की आवश्यकता है।