Bihar News: पूर्णिया के सुखसेना गांव में दुर्गा पूजा के अवसर पर एक अनोखी परंपरा है, जो पिछले 40 वर्षों से चली आ रही है। यहां आदिवासी समुदाय के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा में ढोल नगाड़े के साथ एक खास नृत्य करते हैं, जो माता दुर्गा की आराधना और सुख-समृद्धि की कामना के लिए होता है। इस अवसर पर आदिवासी पुरुष और महिलाएं लाल रंग के वस्त्रों में सुसज्जित होकर सुखसेना दुर्गा स्थान पर आते हैं और अपना पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
इसके अलावा, पूर्णिया में प्रतिमा विसर्जन के लिए प्रशासन ने भी विशेष व्यवस्था की है। सदर एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने बताया कि, सभी नदी घाटों पर बेरीकेटिंग की गई है ताकि कोई गहरे पानी में न जाए और दुर्घटना का शिकार न हो। इसके साथ ही, लाइटिंग, सुरक्षा, एसडीआरएफ, गोताखोर और अन्य व्यवस्थाएं भी की गई हैं।
यह परंपरा न केवल आदिवासी समुदाय की संस्कृति को दर्शाती है, बल्कि समाज में एकता और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देती है। दशहरा के इस पावन अवसर पर, लोग अपने मतभेदों को भूलकर एक दूसरे के साथ मिलकर यह त्योहार मनाते हैं, जो असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है ।
रिपोर्ट- अंकित कुमार