Bihar News: राजस्व सेवा के पदों पर वैकल्पिक नियुक्ति समाप्त कर संवर्गीय अधिकारियों की पदस्थापना की मांग तेज होने लगी है। बिहार राजस्व सेवा संघ ने सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश का विरोध कर रहा है जिसमें भूमि सुधार उपसमाहर्ता से लेकर उप सचिव स्तर तक के पदों को बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना के लिए प्रावधानित किया गया है, का विराध कर रहा है। राजस्व सेवा संघ ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रदान सचिव को पत्र लिख कर अपना विरोध जताया है और अपनी मांग भी रखी है।
संघ का कहना है कि भूमि सुधार उपसमाहर्ता से लेकर उप सचिव स्तर तक के पदों को बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना के लिए प्रावधानित किया गया है। जबकि सामान्य प्रशासन विभाग अपने आदेश में बिहार प्रशासनिक सेवा संवर्ग में भूमि सुधार उपसमाहर्ता के पद का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। यह स्थिति बिहार राजस्व सेवा संवर्ग के उन पदाधिकारियों के साथ अन्यायपूर्ण प्रतीत होती है, जिन्हें विभागीय प्रोन्नति के बाद भी इन पदों पर नियुक्ति का अवसर प्रदान नहीं किया गया।
बिहार राजसस्व सेवा संघ का कहना है कि साल 2010 में बिहार सरकार द्वारा राजस्व सेवा संवर्ग का गठन इसी उद्देश्य से किया गया था कि भूमि सुधार उपसमाहर्ता जैसे पदों पर विशेष कौशल रखने वाले राजस्व सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति हो। संघ का कहना है कि कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग में यह स्पष्ट प्रावधान है कि संबंधित संवर्ग के प्रोन्नत अधिकारियों की उपलब्धता के बाद तदर्थ नियुक्ति समाप्त कर संवर्गीय अधिकारियों को इन पदों पर नियुक्त किया जाएगा।
संघ का कहना है कि वर्तमान में राजस्व सेवा संवर्ग में पर्याप्त संख्या में प्रोन्नति प्राप्त अधिकारी उपलब्ध हैं, जो भूमि सुधार और राजस्व से जुड़े कार्यों में कुशलता से योगदान देने में सक्षम हैं। ऐसे में इन पदों पर बाहरी अधिकारियों की तदर्थ नियुक्ति न केवल संवर्ग के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह राज्य की दीर्घकालिक नीतियों और उद्देश्यों के भी विपरीत है।
राजस्व सेवा संघ की मांग है कि बिहार राजस्व सेवा संवर्ग के नव प्रोन्नत पदाधिकारियों को यथाशीघ्र भूमि सुधार उपसमाहर्ता, जिला भू- अर्जन पदाधिकारी, तथा अन्य समकक्ष पर्दो पर नियुक्ति प्रदान की जाए। साथ ही संघ का कहना है कि अन्य विभागों के अधिकारियों की तदर्थ नियुक्ति समाप्त की जाए और सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश संख्या में संशोधन कर पूर्व के नीतिगत प्रावधानों का अनुपालन किया जाए।
रिपोर्ट- बंदना