Bihar Saraki schools shikshak online hajiri: बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल प्रणाली बनाई है जिसे "ई-शिक्षा कोष" नाम दिया गया है। इस प्रणाली के तहत शिक्षकों को प्रतिदिन अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करनी होती है। इसका उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति पर निगरानी रखना और छात्रों की शिक्षा को सुचारू रखना है। लेकिन, पटना जिले में अनेक शिक्षकों द्वारा इस प्रणाली का दुरुपयोग करने की खबरें आ रही हैं।
कैसे हो रही है फर्जी उपस्थिति? फ्लाई जीपीएस एप का इस्तेमाल
फर्जी हाजिरी दर्ज करने के लिए कुछ शिक्षक "फ्लाई जीपीएस एप" का उपयोग कर रहे हैं। यह एप एक विशेष जीपीएस ट्रिक की तरह काम करता है, जिसमें शिक्षक अपने मोबाइल फोन की लोकेशन को मनचाही जगह पर सेट कर सकते हैं। इससे वे स्कूल में बिना उपस्थित हुए ही अपनी उपस्थिति दर्ज कर लेते हैं। फ्लाई जीपीएस एप की सहायता से, शिक्षक स्कूल का अक्षांश और देशांतर सेट कर लेते हैं, जिससे उनके मोबाइल की लोकेशन स्कूल के अंदर दिखाई देती है। इसके परिणामस्वरूप, शिक्षक घर बैठे ही ई-शिक्षा कोष पर अपने "मार्क इन" और "मार्क आउट" का समय दर्ज कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग दो हजार शिक्षक इस एप का दुरुपयोग कर रहे हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई: फर्जी उपस्थिति पर सख्त निर्देश
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) संजय कुमार ने बताया कि जिन प्रखंडों से फर्जी हाजिरी की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, वहां के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से जांच कराई जा रही है। साथ ही, जिन शिक्षकों पर आरोप साबित होंगे, उनके खिलाफ कठोर कदम उठाने के आदेश दिए गए हैं। डीईओ ने यह भी निर्देश जारी किया है कि स्कूल के भीतर शिक्षकों को आने और जाने के समय की फोटो नोट कैम से खींचकर वास्तविक समय पर जिला शिक्षा कार्यालय में भेजनी होगी। यह कदम शिक्षकों की उपस्थिति को और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है।
दानापुर और बिहटा प्रखंडों में सबसे ज्यादा मामले
फर्जी ऑनलाइन हाजिरी की अधिकतर शिकायतें पटना जिले के दानापुर और बिहटा प्रखंडों से आ रही हैं। इन प्रखंडों में 150 से अधिक शिक्षकों द्वारा इस प्रकार की धांधली करने की जानकारी मिली है। इन क्षेत्रों में कई शिक्षक बिना स्कूल आए ही ऑनलाइन हाजिरी दर्ज कर रहे हैं, जबकि कुछ शिक्षक स्कूल से जल्दी निकल जाते हैं। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि संबंधित शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जाए और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाए।