Bihar school sit report: बिहार सरकार राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस सिद्धार्थ ने खुद इस अभियान की कमान संभाली है। उनके नेतृत्व में स्कूलों की सफाई, बच्चों की उपस्थिति, और शिक्षकों की जवाबदेही पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
एसीएस का वर्चुअल निरीक्षण: हर दिन 10 स्कूलों की समीक्षा
डॉ. एस सिद्धार्थ हर दिन वीडियो कॉल के जरिए 10 स्कूलों की हकीकत का जायजा ले रहे हैं। इस वर्चुअल निरीक्षण में वे हेडमास्टर और शिक्षकों से सीधा संवाद करते हैं और स्कूल की वास्तविक स्थिति समझने का प्रयास करते हैं।
निगरानी के मुख्य बिंदु:
स्कूल की सफाई
बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति
ड्रेस कोड और बुनियादी सुविधाएं
इस पहल से स्कूल प्रशासन पर जवाबदेही बढ़ी है और शिक्षकों में कार्य के प्रति जागरूकता देखी जा रही है।
गुप्त निरीक्षण टीम का गठन
स्कूलों की असल स्थिति जानने के लिए स्थानीय स्तर पर 7 से 12 लोगों की गुप्त टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें बिना किसी पूर्व सूचना के स्कूलों का निरीक्षण करती हैं। हालांकि, ऐसी भी खबरें सामने आई हैं कि एसीएस के निरीक्षण से पहले टीम स्कूलों को सतर्क कर देती है, जिससे कई बार व्यवस्थाएं पहले से सुधार दी जाती हैं और असली स्थिति छिप जाती है। एसआईटी की रिपोर्ट में 60% स्कूलों की हालत खराब है। नवंबर में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) द्वारा किए गए निरीक्षण में स्कूलों की बदहाली उजागर हुई।
चौंकाने वाले तथ्य:
60% स्कूलों की हालत खराब।
सफाई व्यवस्था बेहद खराब।
बच्चों के बैठने के लिए बेंच और बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
शिक्षकों में पढ़ाने के प्रति रुचि की कमी।
किताब-कॉपी जैसी जरूरतें भी पूरी नहीं हो रहीं।
यह रिपोर्ट अक्टूबर में हुए कागजी निरीक्षण के विपरीत, स्कूलों की असली तस्वीर दिखाने में सफल रही।
रिपोर्ट के बाद एसीएस ने बढ़ाई सख्ती
एसआईटी की रिपोर्ट के बाद डॉ. एस सिद्धार्थ ने स्कूलों पर सख्त निगरानी के लिए वर्चुअल निरीक्षण को तेज किया।
अचानक फोन कॉल से हेडमास्टर और शिक्षकों को स्कूल की जानकारी देने के लिए कहा जाता है।
सवालों में टीचर्स की उपस्थिति, बच्चों की संख्या, यूनिफॉर्म की उपलब्धता, और बैठने की सुविधाएं शामिल होती हैं।
प्रमुख सुधार और प्रभाव
शिक्षकों और हेडमास्टर की जवाबदेही बढ़ी।
स्कूल प्रशासन पर दबाव, जिससे व्यवस्थाओं में सुधार की कोशिश हो रही है।
गुप्त निरीक्षण और वर्चुअल कॉल से स्कूलों में लापरवाही की गुंजाइश कम हुई।