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बिहार में 13 दिसंबर को आयोजित होने वाली BPSC 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा से पहले विपक्ष ने उठाया सवाल, कहा- 67वें की राह पर 70वीं परीक्षा,जाने इसके मायने

BPSC 70वीं परीक्षा बिहार के छात्रों और आयोग के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी। भ्रष्टाचार, पेपर लीक और नॉर्मलाइजेशन विवाद से बचने के लिए आयोग को पारदर्शी और कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा।

बिहार में 13 दिसंबर को आयोजित होने वाली BPSC 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा से पहले विपक्ष ने उठाया सवाल, कहा- 67वें की राह पर 70वीं परीक्षा,जाने इसके मायने
BPSC 70वीं से पहले विवाद- फोटो : social media

BPSC 70th Prelims exam Controversy: बिहार में 13 दिसंबर को आयोजित होने वाली BPSC 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा पर राजनीतिक और छात्र संगठनों की आलोचना के साथ विवाद जारी है। विपक्षी दल RJD ने इसे "भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद" का प्रतीक बताया है।



विपक्ष ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

RJD ने सोशल मीडिया पोस्ट में "JDU-BJP की भ्रष्ट जुगलबंदी" का आरोप लगाया।

पेपर लीक और गड़बड़ी: 67वीं BPSC परीक्षा का उदाहरण देते हुए कहा गया कि 70वीं परीक्षा भी उसी राह पर है। RJD ने परीक्षा संचालन में अफसरशाही और कोचिंग माफिया की भूमिका की ओर इशारा किया।

नॉर्मलाइजेशन को लेकर भ्रम और विरोध

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के तहत विभिन्न शिफ्टों में पेपर की कठिनता के आधार पर अंकों में संतुलन बनाया जाता है। छात्रों में इस प्रक्रिया को लेकर असमंजस है।

BPSC अध्यक्ष का बयान: परीक्षा में चार सेट होंगे, जिलावार बदलाव संभव है, और परिणाम नॉर्मलाइजेशन के आधार पर निकाला जाएगा।

विरोध: छात्र संगठन और नेता नॉर्मलाइजेशन को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं।

 67वीं BPSC परीक्षा का विवाद

2022 में BPSC 67वीं PT परीक्षा का पेपर लीक हुआ था।

परीक्षा रद्द कर दोबारा आयोजित की गई थी।

इस घटना ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।

70वीं परीक्षा में रिकॉर्ड वैकेंसी

BPSC 70वीं परीक्षा के जरिए 2035 पद भरे जाएंगे।

परीक्षा में लगभग 6 लाख उम्मीदवार शामिल होंगे।

परीक्षा राज्य के 34 जिलों में आयोजित की जाएगी।

छात्र संगठनों का आंदोलन और UPSC तर्ज की मांग

बिहार छात्र एकता मंच के अध्यक्ष ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

मांग की गई है कि परीक्षा UPSC के पैटर्न पर आयोजित हो।

छात्रों का कहना है कि आयोग ने नॉर्मलाइजेशन पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जिससे भ्रम बढ़ा है।

सरकार और आयोग के सामने चुनौतियां

पारदर्शिता: आयोग को परीक्षा प्रक्रिया में भरोसा कायम करने के लिए स्पष्ट नीति अपनानी होगी।

नॉर्मलाइजेशन: छात्रों को इसकी प्रक्रिया और लाभ-हानि पर विस्तार से जानकारी दी जानी चाहिए।

गड़बड़ी रोकना: पेपर लीक जैसी घटनाओं से बचने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।

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