PATNA - आगामी छठपूजा की चल रहे तैयारियों का जायजा लेने उल्लारधाम पहुंचे डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने चल रही तैयारियों जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने हुए मंदिर परिसर की साफ सफाई, ऐतिहासिक तालाब घाट में गहरे पानी की बैरिकेटिंग, किसी भी आपात स्थिति में निपटने के STRF की टीम वोट के साथ तैयार रहेगी, सुरक्षा की कड़े इंतजाम, छठ व्रतियों के कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम, शौचालय, मेडिकल टीम, सुरक्षा की पुख्ता एवं कड़ा इंतजाम के निर्देश दिए।
साथ ही विधि व्यवस्था एवं लाखों की संख्या में छठ पूजा के लिए आने वाले श्रद्धालु छठवर्तियों भक्तों की बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए जरूरी सभी आवश्यक सुविधाओं को यथाशीघ्र पूरा करने के लिए कहा। इस दौरान पालीगंज अनुमंडल के एसडीओ अमनप्रीत सिंह, डीएसपी उमेश चौधरी, बीडीओ, सीओ, सीडीपीओ, थाना प्रभारी सोनू कुमार समेत बड़े पैमाने पर मौजूद रहे।
सभी पदाधिकारियों एवं मंदिर प्रबंधन के साथ बैठक कर चल रही तैयारियों का जायजा लेने के बाद जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने कहा सभी तैयारियां समय रहते पूरा कर लिया जाएगा। छठ पूजा को सफल तरीके से सम्पन्न कराने के लिए जिला प्रशासन कटिबद्ध हैं। छठ व्रतियों को किसी भी तरह कोई समस्या नहीं हो इसके लिए सभी सुविधाओं को प्रदान करने लिए जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है।
उल्लेखनीय है पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल के दुल्हन बाजार प्रखंड क्षेत्र के उल्लारधाम स्थित द्वापरकालीन पौराणिक उल्लार्क सूर्य मंदिर है। जो कि अब उल्लारधाम के नाम से सुप्रसिद्ध है। हर साल लोकआस्था का महान महापर्व छठ पूजा के लिए उल्लारधाम पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालु भक्त यहां आते हैं। यहां की ऐसी मान्यता है कि उल्लारधाम स्थित उल्लार्क सूर्य मंदिर का निर्माण द्वापरकाल में भगवान श्रीकृष्ण के जामवंती पुत्र राजा शांब ने किया था। क्योंकि उन्हें दुर्वासा ऋषि की श्राप से भयंकर कुष्ठ हो गई थी, अपने भयंकर कुष्ठ व्याधि की मुक्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण द्वारा सुझाए गए मार्ग के बाद राजा शांब ने दुर्वासा ऋषि की अपने द्वारा किए गए अपमान की क्षमा मांगते हुए उनसे श्राप मुक्ति के उपाय मांगा था। जिस पर दुर्वासा ऋषि ने राजा शाम को उनके द्वारा की गई क्षमा याचना से प्रसन्न होते हुए राजा शांब को भयंकर कुष्ठ व्याधि से मुक्ति के उपाय बताए थे।
जिसमें उन्होंने बाहर सूर्य पीठों की स्थापना करते हुए बारह अलग अलग जगहों पर सूर्य मंदिर की निर्माण कर वहां सूर्य उपासना करने को कहा था। जिसके बाद राजा शांब ने अपने कुष्ठ व्याधि से मुक्ति के पूरे देश में बाहर सूर्य पीठों की स्थापना करते हैं। बारह वर्ष लगातार सूर्य उपासना किया था। जिसमें कोणार्क, लोलार्क, पंडारक, देवार्क के साथ साथ उन्हीं बारह सूर्य पीठों में से एक उल्लार्क सूर्य मंदिर की स्थापना करते हैं। वहां सूर्य उपासना किया था। जोकि अब उल्लारधाम के नाम से विश्व विख्यात है। दिन प्रति दिन यहां पर सूर्य उपासना के लिए आने वाले श्रद्धालु भक्तों भीड़ बढ़ती ही जा रही है।
ऐतिहासिक तलाब की क्या महता है?
उल्लारधाम स्थित सूर्य मंदिर परिसर में एक बहुत ही बड़ा ऐतिहासिक तालाब स्थित है , मंदिर महंत बाबा अवध बिहारी दास कहते हैं कि यह पौराणिक और ऐतिहासिक तालाब है , इसकी मान्यता है कि जब राजा शांब यहां आकर सूर्य मंदिर निर्माण के पश्चात उपासना की थी उसी समय बहुत बड़ा तालाब का भी निर्माण उन्होंने ने ही कराया था। यह वही तालाब मंदिर परिसर में स्थित है जिसकी एक अपनी अलग ही ऐतिहासिक मान्यता और महत्व रखता है ।ऐसी यहां की मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु भक्त कुष्ठ व्याधि से ग्रसित होते हैं वह विशेष रूप से अपने मन में मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं और छठपूजा कार्तिक और चैती मास में आकर करते हैं। इस तलाब में स्नान कर भगवान भाष्यकर और छठी मईया की आराधना करते हैं। उनकी कुष्ठ रोगी समाप्त हो जाती है। साथ ही हर रविवार को भी यहां आकर हजारों लोग तलाब में स्नान कर भगवान भाष्यकर की अराधना करते हैं।
कितने दूर तक फैली रहती है मेला परिसर -
जिला मुख्यालय पटना से 40 km और पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर पर स्थित उल्लारधाम सूर्यमंदिर की मेला परिसर लाभ तीन किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैला हुआ रहता है। जिसमें उल्लार धाम, अलीपुर, भरतपुरा, दुल्हन बाजार, लाला भंसारा, रकसिया , अछुआ, समेत आसपास के कई गांवों तक मेला परिसर का फैलाव रहता है। मेले परिसर को नियंत्रित करना भी जिला प्रशासन और पालीगंज अनुमंडल प्रशासन के लिए बड़ा चुनौती रहती है।
Reported by -Amlesh kumar Patna