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CHHATH PUJA 2024: सकल जग तारिणीं हे छठी मैया, चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत,आज है खरना

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि प्रकृति का उत्सव भी है। जीवन के स्रोत के रूप में सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है।

सकल जग तारिणीं हे छठी मैया
सकल जग तारिणीं हे छठी मैया- फोटो : Hiresh Kumar

CHHATH PUJA 2024: सकल जग तारिणीं हे छठी मैया... आज है खरना, प्रसाद ग्रहण करने के बाद  36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू होगा.छठ पूजा, सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित लोक आस्था का महापर्व है इस पर्व में व्रती 36 घंटों का कठोर निर्जला व्रत रखते हैं। खरना, छठ पूजा का दूसरा दिन होता है, और इसी दिन से निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है। इस दिन व्रती साफ-सफाई करके पूजा की तैयारी करते हैं।निर्जला व्रत की शुरुआत: खरना के बाद व्रती 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं।प्रसाद: इस दिन गुड़ की खीर, ठेकुआ, मूली और केला जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाना शुभ माना जाता है।प्रसाद वितरण: खरना के दिन व्रती खुद घर-घर जाकर प्रसाद बांटते हैं। 

बिहार और झारखंड में मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय त्योहार सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। 'छठ' शब्द का अर्थ 'छठा' है और यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन को संदर्भित करता है।छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खरखाना अनुष्ठान है। इस दिन भक्त 36 घंटे का उपवास रखते हैं। 'खरखाना' शब्द शुद्धिकरण का प्रतीक है, और अनुष्ठान में देवताओं को प्रसाद चढ़ाना शामिल है।गुड़ और चावल से बनाया जाने वाला प्रसाद मिठास और पवित्रता का प्रतीक है। भक्तों का मानना है कि इस प्रसाद को चढ़ाकर वे अपने परिवार और समुदाय के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि प्रकृति का उत्सव भी है। जीवन के स्रोत के रूप में सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है। यह त्योहार पानी के महत्व पर भी जोर देता है, क्योंकि भक्त उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य (जल चढ़ाना) देते हैं। इस तरह प्रकृति से जुड़कर, भक्त आध्यात्मिक ज्ञान और सद्भाव की तलाश करते हैं।

 छठ पूजा एक जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम है जो लोगों को एक साथ लाता है। यह त्यौहार क्षेत्र की समृद्ध परंपराओं और रीति-रिवाजों को प्रदर्शित करता है। प्रसाद की तैयारी, भक्ति गीत गाना और सांप्रदायिक सभाएं एकता और अपनेपन की भावना पैदा करती हैं।

नहाय-खाय: छठ पूजा का पहला दिन। इस दिन स्नान करके व्रत की शुरुआत होती है।

खरना: दूसरा दिन। गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है और निर्जला व्रत शुरू होता है।

संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

उषा अर्घ्य: चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

छठ पूजा आस्था और भक्ति का प्रतीक है।सूर्य और जल की पूजा करके प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।छठ पूजा सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लाता है।






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