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CHHATH PUJA 2024 - उल्लारधाम में उमड़ेगी आस्था का जनसैलाब,उल्लार्क सूर्य मंदिर में सभी की पूर्ण होती हैं मनोवांक्षित मनोकामनाएं , आज होगी अस्तचलगामी सूर्य की पहली अर्घ

CHHATH PUJA 2024 - उल्लारधाम में उमड़ेगी आस्था का जनसैलाब,उल्लार्क सूर्य मंदिर में सभी की पूर्ण होती हैं मनोवांक्षित मनोकामनाएं , आज होगी अस्तचलगामी सूर्य की पहली अर्घ
उल्लार धाम में जुटेंगे लाखों छठ व्रती- फोटो : अमलेश कुमार

PATNA - पटना के पालीगंज में  उल्लारधाम स्थित उल्लार्क सूर्य मंदिर में आज उमड़ेगी आस्था का जनसैलाब, महिमा अपरंपार है, आज देंगे लाखों श्रद्धालु छठव्रतियों अस्तचलगामी सूर्य,( डूबते सूर्य) की पहली अर्घ , भगवान भास्कर और छठी मइया की इस दरबार में भक्तों की सभी मनोवांक्षित मनोकामनाएं पूर्ण होती है  ।

उल्लेखनीय है पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल  के दुल्हन बाजार प्रखंड क्षेत्र के उल्लारधाम स्थित द्वापरकालीन पौराणिक उल्लार्क सूर्य मंदिर है। अटूट आस्था और विश्वाश का प्रतीक लोकआस्था महापर्व छठ पूजा की मुख्य अर्क स्थलियों में से एक उल्लार्क सूर्य मंदिर , विश्व विख्यात है, जो कि अब उल्लारधाम के नाम से सुप्रसिद्ध है। आस्था और अटूट विश्वास के प्रतीक  लोकआस्था का महान महापर्व छठ पूजा के लिए यहां पर हर साल लाखों श्रद्धालु छठवर्तियों भक्तों की भीड़ सूर्य उपासना के लिए उमड़ती हैं। जिन्हें नियंत्रित करना जिला प्रशासन के लिए अपने आप में एक बहुत बड़ा चुनौती रहती है।

 छठ पूजा के लिए लाखों श्रद्धालु भक्तों क्यों पहुंचते:- 

बताते चलें कि लोकआस्था का महान महापर्व छठ पूजा के लिए उल्लारधाम पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालु भक्तों क्यों यहां आते हैं, यहां की ऐसी मान्यता है कि उल्लारधाम स्थित उल्लार्क सूर्य मंदिर का निर्माण द्वापरकाल में भगवान श्रीकृष्ण के जामवंती पुत्र राजा शांब ने किया था । क्योंकि उन्हें दुर्वासा ऋषि की श्राप से भयंकर कुष्ठ हो गई थी, अपने भयंकर कुष्ठ व्याधि की मुक्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण द्वारा सुझाए गए मार्ग के बाद राजा शांब ने दुर्वासा ऋषि की अपने द्वारा किए गए अपमान की क्षमा मांगते हुए उनसे श्राप मुक्ति के उपाय मांगा था।  जिसपर दुर्वासा ऋषि ने राजा शांब को उनके द्वारा की गई क्षमा याचना से प्रसन्न होते हुए भयंकर कुष्ठ व्याधि से मुक्ति के उपाय बताए थे।  उन्होंने बाहर सूर्य पीठों की स्थापना करते हुए बारह अलग अलग जगहों पर सूर्य मंदिर की निर्माण कर वहां सूर्य उपासना करने को कहा था। 

जिसके बाद राजा शांब ने अपने कुष्ठ व्याधि से मुक्ति के पूरे देश में बाहर सूर्य पीठों की स्थापना करते हैं। बारह वर्ष लगातार सूर्य उपासना किया था। जिसमें कोणार्क, लोलार्क, पंडारक, देवार्क के साथ साथ उन्हीं बारह सूर्य पीठों में से एक उल्लार्क सूर्य मंदिर की स्थापना करते हैं। वहां सूर्य उपासना किया था। जोकि अब उल्लारधाम के नाम से विश्व विख्यात है। दिन प्रति दिन यहां पर सूर्य उपासना के लिए आने वाले श्रद्धालु भक्तों भीड़ बढ़ती ही जा रही है।

पूरी होती है हर मनोकामना

उल्लारधाम सूर्यमंदिर महंथ बाबा अवध बिहारी दास कहते हैं उल्लार धाम की अपनी एक अलग पौराणिक एवं इतिहास का महत्व है यहां की महिमा अपरंपार है ,जो कोई भी श्रद्धालु भक्त अपने मन में अटूट श्रद्धा और विश्वास के साथ छठ पूजा करने यहां पर आते हैं उनकी सभी मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है ,जो भी श्रद्धालु भक्त अपने मन में अपने परिवार के लिए सुख - समृद्धि , संतान प्राप्ति, निरोगी काया समेत सभी तरह की मनोवांक्षित मनोकामनाएं मन में लेकर आती हैं उनकी सभी मनोवांछित मनोकामनाएं भगवान भास्कर और छठी मईया की दरबार में मन्नते पूरी होती है।

मां अपने आंचल पर क्यों नेटुआ की नाच नाचवाती है?

 सूर्य मंदिर महंथ बाबा अवध बिहारी दास बताते हैं कि जिस  निःसंतान दंपति का संतान नहीं होता है, वह अपने मन में पुत्र पुत्री की प्राप्ति की कामना लेकर यहां  पर आकर सूर्य उपासना करते हुए छठ पूजा करती हैं, भगवान भास्कर और छठी मइया की दरबार में हाजरी लगाने वाले भक्तों जोकि मन्नते मानते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।उसके बाद उन्हें संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होने के बाद  यहां आकर पुनः दोबारा छठ पूजा करती है और अपने मन्नतें उतरवाते हैं। जिसमें नेटुआ के नाच को अपने पुत्र के मुंडन के बाद अपने आंचल पर नाच नाचवाती है। यहां की नेटुआं के नाच विशेष रूप से एक अलग महत्व रखता है , प्रायः देखा जाता है कि सैकड़ों महिलाएं अपने संतान प्राप्ति के बाद अपने आंचल पर नेटुआ की नाच नाचवाती हुई दिखाई देती है। इसकी भी अपनी एक अलग मान्यता है। यह मन्नतें मांगने की एक विशेष परम्परा है। जोकि शादियों से चली आ रही है।

ऐतिहासिक तलाब की क्या महता है?

उल्लारधाम स्थित सूर्य मंदिर परिसर में एक बहुत ही बड़ा ऐतिहासिक तालाब स्थित है , मंदिर महंथ बाबा अवध बिहारी दास कहते हैं कि यह पौराणिक और ऐतिहासिक तालाब है , इसकी मान्यता है कि जब राजा शांब  यहां आकर सूर्य मंदिर निर्माण के पश्चात उपासना की थी उसी समय बहुत बड़ा तालाब का भी निर्माण उन्होंने ने ही कराया था यह वही तालाब मंदिर परिसर में स्थित है जिसकी एक अपनी अलग ही ऐतिहासिक मान्यता और महत्व रखता है ।ऐसी यहां की मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु भक्त कुष्ठ व्याधि से ग्रसित होते हैं वह विशेष रूप से अपने मन में मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं और छठपूजा कार्तिक और चैती मास में आकर करते हैं। इस तलाब में स्नान कर भगवान भाष्यकर और छठी मईया की आराधना करते हैं। उनकी कुष्ठ रोगी समाप्त हो जाती है। साथ ही हर रविवार को भी यहां आकर हजारों लोग तलाब में स्नान कर भगवान भाष्यकर की अराधना करते हैं।

कितने दूर तक फैली रहती है मेला परिसर - 

जिला मुख्यालय पटना से 40 km और पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर पर स्थित उल्लारधाम सूर्यमंदिर की मेला परिसर लाभ तीन किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैला हुआ रहता है। जिसमें उल्लार धाम, अलीपुर, भरतपुरा, दुल्हन बाजार, लाला भंसारा, रकसिया , अछुआ, समेत आसपास के कई गांवों तक मेला परिसर का फैलाव रहता है। मेले परिसर को नियंत्रित करना भी जिला प्रशासन और पालीगंज अनुमंडल प्रशासन के लिए बड़ा चुनौती रहती है।

छठ पूजा के लिए लाखों लोग आते हैं?

पटना जिला प्रशासन और सूर्य मंदिर प्रबंधन समिति का मानना है कि हर साल छठ पूजा के लिए आने वाले श्रद्धालु भक्तों की भीड़ दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है एक अनुमान के अनुसार कार्तिक मास में छठ पूजा के लिए लगभग 4 से 5 लाख और चैती मास में छठ पूजा के लिए लगभग दो से तीन लाख अनुमानित लोगों की भीड़ उमड़ती है जिसे नियंत्रित करना अपने आप में एक बहुत बड़ा चुनौती होती है!

कैसी रहती है जिला प्रशासन की व्यवस्थाएं? :-

यह पटना जिला प्रशासन और पालीगंज अनुमंडल प्रशासन के लिए बहुत बड़ा चुनौती छठ पूजा को संपन्न कराने की रहता है छठ पूजा के लिए जुटने वाले लाखों श्रद्धालु भक्तों की सुविधाओं की विशेष ख्याल जिला प्रशासन द्वारा रखी जाती है ,जिसमें सुरक्षा के कड़े व्यवस्थाएं रहती है जगह-जगह पर महिला और पुरुष  सैकड़ो सुरक्षा कर्मियों की तैनाती रहती है साथ ही ऐतिहासिक तालाब के गहरे पानी की बैरिकेटिंग के साथ-साथ किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ की टीम वोट के साथ तैयार रहती है साथ ही छठ व्रतियों की सुविधाओं के लिए चेंजिंग रूम, शौचालय की व्यवस्था, स्वच्छ पीने की पानी की व्यवस्था के साथ-साथ किसी भी आपातकाल स्थिति में इमरजेंसी के लिए मेडिकल टीम के साथ-साथ कई एंबुलेंस गाड़ी मौजूद रहती है ताकि किसी भी आपात स्थिति से समय रहते निपटा जाए।, छठ व्रतियों को रहने के लिए कई टेंट सिटी की तात्कालिक निर्माण सरकारी एवं निजी संस्थानों द्वारा की जाती है। साथ मेले और छठ पूजा को नियंत्रित करने के लिए सैंकड़ों निजी वोलेंटियर के तैनाती के साथ साथ निजी संस्थाएं एवं कई राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लाखों छठ व्रतियों के बीच पूजा सामग्रियों का वितरण भी किया जाता है।

Reported by -Amlesh kumar Patna

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