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पेंट में मौजूद है ये खतरनाक धातु, बच्चों को सबसे ज्यादा करता है इफेक्ट

हर कोई अपने घरों में पेंट करवाता है, लेकिन किसी को ये नहीं पता कि पेंट में एक ऐसी धातु मौजूद है तो जिंंदगियां ले लेती है।

पेंट में मौजूद है ये खतरनाक धातु, बच्चों को सबसे ज्यादा करता है इफेक्ट

दीपावली में बस कुछ ही दिन बचें हैं। ऐसे में 24 अक्टूबर से खरीदारी के शुभ मुहूर्त शुरू हो गए हैं। दीपावली नजदीक आते ही हम सभी घर की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई में लग जाते हैं। हमारा ध्यान इस बात पर अधिक होता है कि कौन सा पेंट घर को अधिक चमकदार बनाता है। लेकिन हम कभी इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि घर की पुताई के लिए इस्तेमाल होने वाले चमकदार लेड युक्त पेंट्स हमारे लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2021 में लेड के संपर्क में आने की वजह से दुनिया में 15 लाख लोगों की मृत्यु हो गई। पेंट्स में मौजूद लेड (सीसा) एक ऐसा केमिकल है, जो बच्चों के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। बच्चों में यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाकर उनकी सोचने-समझने की क्षमता, बौद्धिक विकास, आईक्यू को प्रभावित कर सकता है। लेड हमारे ब्रेन, लिवर, किडनी, दांतों और हड्डियों में जमा होता है। हड्डियों में जमा लेते ब्लड में घुलकर गर्भाशय में तक पहुंचता है और उसके विकास पर दुष्प्रभाव डालता है।



2021 में लेड के संपर्क में विश्व भर में 15 लाख से अधिक मौतें हुईं हैं। बता दें की लेड एक धातु है, जिसका उपयोग पेंट्स में रंगों की क्वालिटी और चमक को बराबर रखने के लिए किया जाता है। लेकिन इसके संपर्क में रहना हमारे सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। इसके साथ ही इसका उपयोग बैट्री, कॉस्मेटिक्स, खिलौने, कंस्ट्रक्शन मटेरियल में इस्तेमाल किया जाता है। यह काफी हानिकारक पदार्थ है। लेड का इस्तेमाल लंबे समय तक पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में होता रहा है। हालांकि, बाद में भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इसका इस्तेमाल पेट्रोल और डीजल में पूरी तरह बंद कर दिया।



लेड के संपर्क में आने से सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों के मस्तिष्क को होता है। यह उनकी सीखने की क्षमता, फोकस करने की क्षमता पर बुरा असर डालता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (AAP) के मुताबिक, लेड के संपर्क से बच्चों का IQ लेवल 4-5 प्वाइंट्स तक घट सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों का शरीर लेड को वयस्कों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक तेजी से अवशोषित करता है। इस वजह से बच्चों का लेड के संपर्क में आना बेहद खतरनाक हो सकता है। इससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लेड हमारे शरीर की हड्डियों, दांतों, किडनी और मस्तिष्क में जमा होता है। यह हमारे नर्वस सिस्टम और किडनी डैमेज कर सकता है।



पेंट्स में प्रयोग होने वाला लेड महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान हड्डियों में जमा ब्लड के जरिए बच्चे तक पहुंच सकता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में बाधक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल 2021 में दुनिया में लेड की वजह से 15 लाख लोगों की मौत हुई। यूनिसेफ द्वारा पब्लिश टॉक्सिक ट्रूथ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का हर तीसरा बच्चा लेड प्वॉइजनिंग से जूझ रहा है और उसके शरीर में लेड की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक है। इसमें लेड प्वॉइजनिंग के सबसे बड़े कारणों में से एक लेड युक्त पेंट्स भी है। लंबे समय तक लेड के संपर्क में रहने से हड्डियों का कमजोर होना, कैंसर का खतरा और सांस से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।

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