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BPSC 70th CCE: बीपीएससी 70वीं परीक्षा के पदों में 500 सीटों की हुई बढ़ोत्तरी,आयोग ने ट्वीट कर क्या कहा जान लीजिए...

BPSC की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के रद्द करने की मांग बढ़ रही है। जानिए इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी और आयोग की स्थिति।

 BPSC 70th CCE: बीपीएससी 70वीं परीक्षा के पदों में 500 सीटों की हुई बढ़ोत्तरी,आयोग ने ट्वीट कर क्या कहा जान लीजिए...
BPSC की 70वीं CCE परीक्षा - फोटो : social media

BPSC 70वीं CCE परीक्षा: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। छात्रों और विभिन्न संगठनों द्वारा इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की जा रही है। विभिन्न स्थानों पर हो रहे आंदोलनों और मीडिया में फैली खबरों के बीच, आयोग ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा के लिए विज्ञापित 2035 पदों पर ही बहाली होगी और पदों की संख्या में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है।

परीक्षा के पदों की संख्या में भ्रम

हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 70वीं BPSC परीक्षा में 501 नए पद जोड़े जा सकते हैं, जिससे कुल पदों की संख्या 2528 हो जाएगी। इन खबरों ने अभ्यर्थियों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। आयोग ने इन दावों को पूरी तरह असत्य बताया और स्पष्ट किया कि परीक्षा के लिए घोषित पदों की संख्या 2035 ही है, जो पहले से ही विज्ञापन में घोषित की गई थी।

आयोग का स्पष्टीकरण

बिहार लोक सेवा आयोग ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट कर यह स्पष्ट किया कि 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा केवल 2035 पदों के लिए आयोजित की गई है। आयोग ने पदों की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि की खबरों को पूरी तरह से भ्रामक और असत्य करार दिया।

प्रदर्शन और प्रतिक्रिया

विभिन्न छात्र संगठन और अभ्यर्थी, परीक्षा के आयोजन में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। वे परीक्षा प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता के लिए आंदोलन कर रहे हैं। आयोग द्वारा जारी किए गए स्पष्टीकरण के बावजूद, छात्रों के एक वर्ग में असंतोष व्याप्त है, जो परीक्षा के रद्दीकरण की मांग कर रहे हैं।

 BPSC की 70वीं CCE परीक्षा 

BPSC की 70वीं CCE परीक्षा के आयोजन पर चल रहे विवाद ने छात्रों और आयोग दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। आयोग ने परीक्षा की प्रक्रिया और पदों की संख्या के संबंध में स्पष्टता प्रदान की है, लेकिन छात्रों के एक वर्ग में अभी भी असंतोष बना हुआ है। यह स्थिति आयोग और छात्रों के बीच संवाद और समझ की आवश्यकता को दर्शाती है।

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