Bihar Sand Mining: बालू के अवैध खनन की समस्या बिहार के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद न तो अवैध खनन रुक रहा है और न ही इसके अवैध परिवहन पर रोक लग पाई है। कई मामलों में सरकारी ठेकेदार खुद ही अवैध खनन को बढ़ावा देते हैं। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब अगर कोई ठेकेदार अवैध खनन में संलिप्त पाया गया, तो उसका ठेका रद्द कर दिया जाएगा। भले ही उसके पास एक या उससे अधिक खनन घाटों का संचालन हो।
जीरो टॉलरेंस नीति पर होगा काम
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और खान एवं भू-तत्व मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अवैध खनन के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। उन्होंने साफ किया है कि अब अगर किसी सरकारी ठेकेदार की संलिप्तता पाई जाती है तो उसका ठेका रद्द कर दिया जाएगा। सरकार अब अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी।
सघन जांच के आदेश
बैठक के दौरान मंत्री ने कहा कि कुछ जिलों में पूर्व आवंटित खनन क्षेत्र अनावश्यक रूप से सरेंडर किए जा रहे हैं। ऐसे मामलों में संबंधित जिला प्रशासन से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर सघन जांच की जाएगी। यदि घाट सरेंडर करने वाले ठेकेदार के पास एक से अधिक घाट हैं, तो उनके अन्य घाटों की भी जांच की जाएगी। अवैध गतिविधियों की पुष्टि होने पर न केवल सरेंडर किए गए घाट की, बल्कि सक्रिय घाट की भी सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त की जाएगी और ठेकेदार को काली सूची में डाला जाएगा।
अवैध खनन रोकने के लिए ठोस कदम
डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने निर्देश दिया कि खनन से जुड़े ठेकेदारों, के-लाइसेंसधारियों और ट्रांसपोर्टर्स की संयुक्त बैठक आयोजित की जाए। इस बैठक में उन्हें आ रही समस्याओं के समाधान के साथ-साथ राज्य में खनन से जुड़े अन्य मुद्दों पर सुझाव लिए जाएंगे। साथ ही, कानूनी सलाहकारों के साथ भी जल्द बैठक कर ठोस कदम उठाने की रणनीति तैयार की जाएगी।