PATNA - पटना हाईकोर्ट ने पटना एम्स के पूर्व कार्यकारी निदेशक डा. गोपाल कृष्ण पाल को पटना एम्स के निदेशक पद पर पदस्थापित करने सम्बन्धी याचिका को ख़ारिज करते हुए अंतरिम राहत देने से इंकार किया।जस्टिस पी बी बजानथ्री की खंडपीठ ने डा. गोपाल कृष्ण पाल की याचिका पर सुनवाई की।
इस मामले की सुनवाई कैट के समक्ष चल रही है।खंडपीठ ने कैट को याचिकाकर्ता की मामलें की सुनवाई शीघ्र कर मामलें को निष्पादित करने का निर्देश दिया। एम्स,पटना के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डा. गोपाल कृष्ण पाल गोरखपुर एम्स के भी इंचार्ज थे। उसी दौरान उनके बेटे औरूप्रकाश पाल ने गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एम डी पाठ्यक्रम में एडमिशन ले लिया। उसने ओबीसी क्रीमीलेयर के आरक्षण के प्रमाणपत्र के आधार पर एम डी पाठ्यक्रम में एडमिशन ले लिया।जबकि ये उस श्रेणी से सम्बन्धित नही था। जब इस सम्बन्ध में हंगामा होने लगा,तो उनके प्रमाणपत्र को समाप्त करने के लिए आवेदन दिया गया।साथ ही एम डी पाठ्यक्रम से उसने अपना एडमिशन वापस ले लिया।
डा. गोपाल कृष्ण पाल ने एम्स,पटना के कार्यकारी निदेशक के तौर पर अपने बेटे के एडमिशन के लिए हो रहे काउंसलिंग से अपने को अलग रखा।लेकिन एम्स, गोरखपुर के उप निदेशक ने जो कॉउन्सलिंग के लिए कमिटी बनाई, उसके लिए डा. पाल ने सहमति दी। इसके बाद केंद्रीय और राज्य स्तर पर इस मामलें की जांच हुई।जहाँ राज्य की कमिटी ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों की गलती से जाति प्रमाणपत्र बन गया।इसमें पटना,एम्स के कार्यकारी निदेशक की कोई भूमिका नही थी।
दूसरी ओर केंद्र स्वास्थ्य विभाग ने जाँच में यह कहा कि डा. पाल की भूमिका इसमें प्रतीत होती है।इसलिए उन्हें पटना,एम्स के कार्यकारी निदेशक के पद से हटा के केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग में पदस्थापित किया गया।इसी को चुनौती देते हुए डा. पाल ने कैट में याचिका दायर की। कैट ने उन्हें अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया,तो उन्होंने पटना कोर्ट में उस आदेश को चुनौती और उन्होंने पटना,एम्स के कार्यकारी निदेशक के पद पर पदस्थापित करने की याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की।
कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि डा.पाल ने इस प्रकरण में अपनी भूमिका नहीं होना सिद्ध नहीं कर पाये।इस पर कोर्ट ने राहत देने से इंकार करते हुए कैट को इस मामलें की सुनवाई जल्द पूरी कर इसे निष्पादित करने का निर्देश दिया।