Patna :- ऐतिहासिक ब्रिटिश कालीन गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय की अधिग्रहण का मामला अब धीरे धीरे तुल पकड़ता जा रहा है। लाइब्रेरी सचिव द्वारा राज्य सरकार को अधिग्रहण करने के लिए भेजे गए इसके लिए प्रस्ताव का खुद इसके कार्यकारणी सदस्यों ने ही विरोध शुरू कर दिया है। सचिव द्वारा सरकार को दी गई अधिग्रहण प्रस्ताव को सभी सदस्यों ने अभिनज्ञाता जाहिर करते हुए कहा कि हमलोगो को अंधेरे में रखते हुए यह आत्मघाती कदम उठाया गया है। कई सदस्यों ने कहा यह हमलोगों की पूर्वजों का ऐतिहासिक विरासत के रूप में अमूल्य धरोहरों में से एक है। इसको हम किसी भी कीमत पर यहां से दूसरी जगह नहीं जाने देंगे।
बता दें कि 12 दिसंबर को गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय की 112 वीं स्थापना दिवस पर बिहार सरकार के माननीय उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी स्थापना दिवस पर आयोजित की कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने आए थे। उस दौरान उन्होंने इस पुस्तकालय सह संग्रहालय को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित करने की बात कही थी। उन्होंने जल्द ही इसको अधिग्रहित करने के लिए घोषणा किया था। साथ ही उन्होंने यह आश्वाशन दिया था वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रयास करेंगे। साथ ही इसको केंद्रीय पर्यटन कारीडोर से जोड़ने की भी बात कही थी।
सदस्यों को नहीं थी जानकारी
ऐतिहासिक गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालेश्वर संग्रहालय की अधिग्रहण को लेकर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की इस घोषणा पर सभागार में उपस्थित इसके कार्यकारी अध्यक्ष पदेन एसडीओ अमनप्रीत सिंह, निदेशक प्रभात धारी सिंह, शिवेंद्र धारी सिंह, सब्जा शर्मा कार्यकारणी सदस्यों समेत सैंकड़ों लोगों ने आश्चर्य व्यक्त किया था। उसे दिन से यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
सचिव के फैसले की नहीं थी जानकारी
गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय को अधिग्रहीत करने के लिए भेजे गए सचिव मुकेश धारी सिंह द्वारा प्रस्ताव पर अभिनज्ञता जाहिर करते हुए इसके निर्देशक प्रभात धारी सिंह, कार्यकारणी सदस्य शिवेंद्री सिंह ,डॉ श्याम नंदन शर्मा ,सब्जा शर्मा, शशि भूषण शर्मा अशोक शर्मा समेत कई सदस्यों ने बताया कि हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है और नहीं सचिव द्वारा इसकी कोई सहमति या कोई बैठक कर कोई प्रस्ताव पारित किया गया हो। हमलोगों से कोई भी किसी प्रकार की सहमति ली गई और नहीं इसके लिए कोई बैठक किया गया जिसमें कोई प्रस्ताव पास किया गया हो ,जिससे सरकार को भेजा जाए। इस तरह के कोई भी बात हम लोगों के समक्ष नहीं रखी गई सभी सदस्यों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह निर्णय एकतरफा मनमाने तरीके से लिया गया है जोकि एक बहुत बड़ा आत्मघाती कदम होगा जो सचिव मुकेश धारी सिंह द्वारा उठाए गए हैं।
बता दें कि गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय के संचालन के लिए 15 सदस्यों की कार्यकारणी समिति गठित है। जिसमें पदेन् अध्यक्ष पटना जिलाधिकारी, कार्यकारी अध्यक्ष पालीगंज अनुमंडल पदाधिकारी, सचिव , निदेशक, स्थानीय विधायक, अन्य कार्यकारी सदस्य होते हैं। साथ ही कुछ विशेष आमन्त्रित सदस्य होते हैं. इसकी कोरम के लिए समय समय पर बैठक की जाती हैं जिसमें नीतिगत निर्णय लेने के बाद सर्वसम्मति से पास होने के बाद उसको कार्यान्वित किया जाता है।
सदस्यों ने किया प्रस्ताव निरस्त करने की मांग
राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि इस प्रस्ताव को निरस्त किया जाए क्योंकि यह पटना जिले के ही नहीं पूरे राज्य और देश के विश्व विख्यात धरोहर में से एक है। जिसमें बड़े पैमाने पर एक से बढ़कर एक अद्भुत चीजों को संग्रहित कर रखा गया है जो की पालीगंज क्षेत्र के लिए एक गौरव का विषय है जिसे हम लोग किसी भी कीमत पर खोने नहीं देंगे। क्योंकि राज्य सरकार जब इसको अधिग्रहित करेगी तो यहां से हटाकर वह पटना में इस संग्रहालय को शिफ्ट कर देगी, जिससे यहां का नामोनिशान मिट जाएगा जिसको हम लोग कभी ऐसा नहीं होने देंगे। चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े हमलोग आखरी सांस तक इसको अधिग्रहित होने से बचाएंगे।
1912 में हुई थी स्थापना
सदस्यों ने बताया कि विश्वस्तरीय विश्व विख्यात ऐतिहासिक एवं अदभुत 1912 में स्थापित की गई थी। पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय क्षेत्र के दुल्हन बाजार प्रखंड के भरतपुर गांव स्थित ऐतिहासिक धरोहरों में से एक ब्रिटिश कालीन गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय की अपनी एक अलग ही विशेष पहचान है, जिसकी ख्याति देश ही नहीं विदेशों में मानी जाती है। इस पुस्तकालय सह संग्रहालय में रखें एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक विरासतों एवं धरोहरों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। जिसमें विशेष कर शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, छात्रों एवं सैलानियों के लिए यह हमेशा ही उत्सुकता पैदा करती है। इसमें रखे गए ऐतिहासिक धरोहरों में, पांडुलियों, शाहनामा, एक से बढ़कर एक प्राचीन, बौद्धकालीन,मुगलकालीन, ब्रिटिशकालीन सैंकड़ों सिक्के, कलाकृतियां,तार के पत्तों पर लिखे गए रामायण और महाभारत, पौराणिक ग्रंथों, शाहनामे में अकबरनामा, सिकंदरनामा,पेंटिंग, चित्रकारी, के साथ साथ एक से बढ़कर एक संग्रहित कर रखी गई ग्रंथों के साथ 5 हजार से अधिक पुस्तके इसके मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इसकी ख्याति देश में ही नहीं विदेशों तक फैली हुई है। जोकि अपने आप में अद्भुत कही जा सकती है।
वहीं इसके डीड में उल्लेखित है कि इसका संचालन और देखरेख गोपाल नारायण सिंह के परिवार द्वारा किया जाएगा। साथ ही सचिव, निदेशक समेत कई सदस्य इसके कार्यकारणी बोर्ड में परिवार के लोग ही रहेंगे। इससे साफ जाहिर होता है कि इसका स्वामित्व और संचालन के लिए बनाए गए डीड कुछ और कहानी कहती नजर आती है।
फिर सवाल यह उठता है कि सचिव मुकेश धारी सिंह ने ऐसा एकतरफा मनमाने ढंग से आत्मघाती निर्णय क्यों उठाया? आखिर कौन सी मजबूरी होगी? इससे उन्हें क्या फायदा होगा यह पूरे पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। गोपाल नारायण सिंह सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय की अधिग्रहण का प्रस्ताव पर आगे क्या होगा यह समय ही बताएगा? लेकिन इतना जरूर हो गया है कि इसकी चर्चा राज्य स्तर पर हो रही है।
Repoted by -Amlesh kumar,Patna