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Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिया आज, जानें क्यों मनाया जाता है यह त्योहार, सुख-समृद्धि के लिए जरुर करें ये काम

Sharad Purnima

Sharad Purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हर महीने आने वाली पूर्णिमा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित होती है। लेकिन आश्विन माह की पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा कहते हैं, उसका महत्व और भी अधिक है। साधक इस पर्व को बड़े उत्साह से मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसलिए, इस रात चंद्रमा के प्रकाश में खीर रखने और इसका सेवन करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इससे शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही इस दिन दीपक जलाने का भी विशेष महत्व है। यह जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति दिलाता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक अनुष्ठान: इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं, दान करते हैं और विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कार्यों में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। शरद पूर्णिमा प्रकृति, धर्म और संस्कृति का एक अद्भुत संगम है। यह पर्व हमें अपने अंदर की शांति को खोजने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का अवसर देता है।

शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे कई कारण हैं। जिसमें सबसे अहम अमृत की वर्षा माना जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इस अमृत को प्राप्त करने के लिए लोग खीर को चांदनी रात में रखते हैं, ताकि खीर में अमृत का अंश समाहित हो जाए। वहीं इसके पीछे भगवान कृष्ण से जुड़ी कथा भी है। माना जाता है कि इसी रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रास लीला रचाई थी। इसीलिए इस दिन को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। वहीं शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

शरद पूर्णिया मनाने के अन्य कारण

प्रकृति का सौंदर्य: शरद ऋतु में प्रकृति अपने सबसे खूबसूरत रूप में होती है। चांदनी रात, शीतल हवा और खेतों में लहलहाती फसलें इस पर्व को और भी खास बनाती हैं। आध्यात्मिक महत्व: यह पर्व आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन ध्यान और पूजा करने से मन शांत होता है और आत्मिक शक्ति बढ़ती है। सांस्कृतिक महत्व: शरद पूर्णिमा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। यह पर्व लोगों को एक साथ लाता है और आपसी भाईचारे का संदेश देता है।


शरद पूर्णिमा 2024

तिथि: पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर की रात 08:40 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर की शाम 04:55 बजे समाप्त होगी।

चंद्रोदय: 16 अक्टूबर को शाम 05:05 बजे चंद्रमा उदय होगा।

शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:42 से 05:32 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:01 से 02:47 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:50 से 06:15 बजे तक

निशिता मुहूर्त: 17 अक्टूबर को रात 11:42 से 12:32 बजे तक

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