बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

कैसे सुशील ने मोदी मुंबई की एक लड़की के खातिर छोड़ी दी थी राजनीति, जानें कैसा है दिलचस्प किस्सा?

सुशील मोदी पहली बार जेसी जॉर्ज से मिले थे. सुशील मोदी उस समय पटना विश्वविद्यालय के छात्र और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य थे.

 कैसे सुशील ने मोदी मुंबई की एक लड़की के खातिर छोड़ी दी थी राजनीति, जानें कैसा है दिलचस्प किस्सा?
सुशील कुमार मोदी के मजेदार किस्से- फोटो : social media

Sushil Kumar Modi Anniversary: सुशील कुमार मोदी की जीवन कहानी, राजनीति और प्रेम के अद्भुत संगम का प्रतीक है. बिहार की राजनीति में एक बड़ा चेहरा होने के बावजूद, उनकी प्रेम कहानी भी लोगों के बीच खास चर्चा का विषय रही है. उनका और उनकी पत्नी जेसी जॉर्ज का प्रेम कहानी, जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है, जिसमें धर्म, भाषा और रीति-रिवाज की दीवारों को पार करके सच्चे प्यार की जीत को दर्शाया गया है.

एक असाधारण प्रेम कहानी

यह कहानी 1985 की है, जब सुशील मोदी पहली बार जेसी जॉर्ज से मिले थे. सुशील मोदी उस समय पटना विश्वविद्यालय के छात्र और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य थे. जेसी जॉर्ज, जो मुंबई की रहने वाली थीं, इतिहास में पीएचडी कर रही थीं. एक यात्रा के दौरान दोनों की पहली मुलाकात हुई, जो आगे चलकर एक गहरी प्रेम कहानी में बदल गई.

सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज एक ट्रेन यात्रा के दौरान मिले थे, जब वे मुंबई से दिल्ली जा रहे थे. दोनों के बीच ट्रेन में ही बातचीत शुरू हुई, और पहली ही मुलाकात में एक-दूसरे के प्रति आकर्षण पैदा हुआ. इसके बाद उनका रिश्ता गहराता गया, और वे एक-दूसरे को प्रेम पत्र लिखने लगे. हालांकि, इस प्रेम कहानी में सबसे बड़ा चुनौती था कि दोनों अलग-अलग धर्मों से थे – सुशील मोदी एक मारवाड़ी हिंदू थे, जबकि जेसी जॉर्ज रोमन कैथोलिक ईसाई थीं. इस अंतरधार्मिक प्रेम ने कई कठिनाइयों का सामना किया.

परिवार की असहमति और चुनौतियां

जब दोनों के परिवारों को उनके प्रेम संबंध के बारे में पता चला, तो प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं थी. दोनों परिवारों के सामने धार्मिक और सांस्कृतिक विभाजन की दीवार थी. सुशील मोदी का आरएसएस से जुड़ा होना भी एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि आरएसएस और रोमन कैथोलिक समाज के बीच वैचारिक अंतर थे. लेकिन इन सबके बावजूद, सुशील मोदी ने अपने प्रेम को प्राथमिकता दी और अपने परिवार और राजनीति की परवाह किए बिना, जेसी जॉर्ज के साथ अपना जीवन बिताने का निर्णय लिया.

शादी और नया अध्याय

वर्ष 1986 में, सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज ने परिवारों की असहमति के बावजूद शादी कर ली. इस शादी में उस समय के प्रमुख राजनेताओं ने हिस्सा लिया, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे. इस शादी ने समाज में एक नई मिसाल कायम की, खासकर जब उस दौर में अंतर्जातीय और अंतरधार्मिक विवाह एक टैबू के रूप में देखे जाते थे. सुशील मोदी ने राजनीति से भी कुछ समय के लिए दूरी बना ली और अपने प्यार के साथ एक नया जीवन शुरू किया.

शादी के बाद सुशील मोदी ने एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट खोला, लेकिन उनकी राजनीतिक रुचि उन्हें ज्यादा समय तक इस काम में नहीं रोक सकी. अंततः, 1990 में, उन्होंने राजनीति में वापसी की और विधानसभा चुनाव जीता, जिसके बाद उनका राजनीतिक करियर फिर से रफ्तार पकड़ने लगा.

राजनीति और प्यार की मिसाल

यह प्रेम कहानी सिर्फ दो लोगों के मिलन की कहानी नहीं है, बल्कि यह प्रेम की उस शक्ति को दर्शाती है, जो धर्म और समाज की सीमाओं को पार कर जाती है. सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज ने न केवल अपने प्यार को साकार किया, बल्कि समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया कि सच्चे प्रेम में कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती.

आज के दौर में, जब अंतर्जातीय और अंतरधार्मिक विवाह कई स्थानों पर एक विवाद का विषय बने हुए हैं, सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज की प्रेम कहानी यह साबित करती है कि प्रेम की शक्ति हर चुनौती को पार कर सकती है. उनके इस साहसिक फैसले ने समाज के रूढ़िवादी ढांचे को चुनौती दी और एक नई मिसाल कायम की, जिसे आज भी लोग प्रेरणा के रूप में देखते हैं.

Editor's Picks