Sushil Kumar Modi Anniversary: बिहार के राजनीतिक के दिग्गज नेता रहे सुशील कुमार मोदी का कल 75वां जयंती है। उनका जन्म 5 जनवरी 1952 को हुआ था। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत एक स्टूडेंट लीडर के रूप में की थी। इसलिए सुशील कुमार मोदी को जेपी आंदोलन की उपज माना जाता है। उन्होंने अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में की, जब वे पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य चुने गए। 1973 में वे महामंत्री बने, जबकि उस समय लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष और रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव चुने गए थे।
सुशील मोदी के राजनीतिक मार्गदर्शक केएन गोविंदाचार्य को माना जाता है, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सिद्धांतकार और संघ विचारक रहे हैं। गोविंदाचार्य ने कहा था कि सुशील मोदी की खासियत उनकी सादगी, मितव्ययिता, और अनुशासन था।
कब छोड़ी सुशील मोदी ने अपनी पढ़ाई
जेपी आंदोलन के प्रभाव में आने के बाद सुशील मोदी ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रहे। 1977 से 1986 तक वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे।सुशील मोदी ने 1990 में पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया। उन्होंने 1995 और 2000 में भी इसी सीट से जीत हासिल की। 2004 में वे भागलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।
लोकसभा से इस्तीफा देकर विधान परिषद के लिए निर्वाचित
2005 में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देकर विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए और उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2005 से 2013 और 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने पार्टी के विभिन्न दायित्व भी संभाले। दिसंबर 2020 में सुशील मोदी को भाजपा ने राज्यसभा के लिए भेजा, जहां वे पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सुशील कुमार मोदी का राजनीतिक सफर:
- 2017: सुशील कुमार मोदी बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। यह वह समय था जब बिहार में जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) और आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के महागठबंधन की सरकार गिर गई थी, और इस सरकार के पतन के पीछे सुशील मोदी की मुख्य भूमिका मानी जाती है।
- 2010: सुशील मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार करने का निर्णय लिया।
- 2006: उन्होंने बिहार के वित्त मंत्री का पद संभाला।
- 2005: जब एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) बिहार में सत्ता में आया, तब सुशील मोदी ने लोकसभा से इस्तीफा देकर बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद संभाला। यह पद उन्होंने किसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े बिना ही हासिल किया, और वह बिहार के तीसरे उपमुख्यमंत्री बने।
- 2004: सुशील मोदी ने भागलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और सीपीएम के सुबोध रे को हराकर 14वीं लोकसभा के सदस्य बने।
- 2000: उन्होंने फिर से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद उन्हें बिहार सरकार में संसदीय मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया।
- 1996-2004: इस समय के दौरान, वह बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
- 1995: उन्हें भारतीय जनता पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया और साथ ही वह पटना विधानसभा सीट से फिर से निर्वाचित हुए।
- 1990: उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से प्रवेश किया और पटना के कुम्हरार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
- 1983-86: वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव बने।
- 1973-77: उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव के रूप में कार्य किया।
यह उनके राजनीतिक जीवन की मुख्य घटनाएँ हैं, जिन्होंने उन्हें बिहार और राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बनाया। उनके कार्यकाल के दौरान, वह भाजपा के एक मुख्य नेता के रूप में उभरे और बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।