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Bihar Teacher News: बिहार में इस जिले के DEO के फरमान से हड़कंप,स्कूलों में इस विषय की पढ़ाई की दलील पर मचा बवाल..नीतीश सरकार के लिया बनेगा गले की फांस

सूबे में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम है, शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी बिना अपने उच्चाधिकारियों की अनुमति के ऐसा फरमान निकाल रहे हैं जिसका विरोध होना शुरु हो गया है। ताजा मामला किशनगंज जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर हुसैन ने एक आदेश का है।

 DEO in Kishanganj
डीइओ के फरमान से बढ़ा सियासी तापमान- फोटो : Social Media

पटना: बिहार में ब्यूरोक्रेसी किस कदर हावी है, इसका अंदाजा किशनगंज जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी  नासिर हुसैन ने एक आदेश से लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ एस सिद्दार्थ व्यवस्था सुधारने में लगे हैं, वहीं कुछ अधिकारी पलिता लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं।  किशनगंज जिले में जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर हुसैन ने एक आदेश जारी किया है जिसमें सभी निजी स्कूलों को उर्दू भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है जो उर्दू पढ़ने में रुचि रखते हैं।

आदेश का विवरण

DEO नासिर हुसैन ने कहा कि जिले के सभी सीबीएसई (CBSE) से मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इच्छुक छात्रों के लिए उर्दू की पढ़ाई की व्यवस्था करें। इसके साथ ही, इन विद्यालयों को बिहार शिक्षा परियोजना कार्यालय को अनुपालन रिपोर्ट भी जमा करनी होगी। यह कदम उस बैठक के बाद उठाया गया जिसमें स्थानीय विधायक और सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी।

प्रतिक्रिया और विवाद

इस आदेश के बाद, जिले के निजी विद्यालय संचालकों में आक्रोश देखा जा रहा है। बीजेपी जिला अध्यक्ष सुशांत गोप ने कहा कि सीबीएसई के निर्धारित नियमों के अनुसार ही विद्यालयों में पढ़ाई होनी चाहिए और किसी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उर्दू थोपने का प्रयास किया गया तो वे प्रार्थना में गायत्री मंत्र के पाठ की मांग करेंगे।

कुछ विद्यालय संचालकों ने यह भी कहा कि अगर केवल कुछ छात्रों के लिए उर्दू पढ़ाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी, तो यह संभव नहीं है। उनका तर्क है कि सरकार को इस विषय पर उचित कदम उठाना चाहिए और नए स्कूल खोलने चाहिए जहां दोनों भाषाओं की पढ़ाई हो सके।

उर्दू शिक्षा की आवश्यकता

किशनगंज जिले में मुस्लिम समुदाय की संख्या अधिक होने के कारण, कई छात्र उर्दू भाषा सीखने में रुचि रखते हैं। DEO नासिर हुसैन ने बताया कि यदि कोई विद्यालय अपने छात्रों को उर्दू पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं रखता है, तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे आवश्यक व्यवस्थाएं करें ताकि इच्छुक छात्र अपनी पसंदीदा भाषा सीख सकें।

विरोध में उतरी बीजेपी

जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर हुसैन ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त सभी निजी विद्यालयों को उर्दू की पढ़ाई के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करते हुए अनुपालन प्रतिवेदन बिहार शिक्षा परियोजना कार्यालय को प्रस्तुत करना होगा। इस आदेश के बाद जिले के निजी विद्यालय संचालकों में असंतोष उत्पन्न हुआ है। बीजेपी जिला अध्यक्ष सुशांत गोप ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विद्यालयों में पढ़ाई सीबीएसई के निर्धारित मानकों के अनुसार होनी चाहिए, न कि किसी प्रकार का दबाव डाला जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में उर्दू को अनिवार्य रूप से लागू करने का प्रयास किया गया, तो भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध करेगी।

गायत्री मंत्र का पाठ करने की मांग 

भाजपा जिला अध्यक्ष ने कहा कि यदि दबाव डाला गया, तो हम प्रार्थना में गायत्री मंत्र का पाठ करने की मांग करेंगे। वहीं, बाल मंदिर विद्यालय के सचिव त्रिलोकचंद जैन ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि कुछ बच्चों के लिए विशेष रूप से उर्दू पढ़ाने की व्यवस्था करना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बच्चों को उर्दू शिक्षा प्रदान करनी है, तो इसके लिए अलग से विद्यालय स्थापित किए जाने चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार का कोई निर्देश नहीं है।

नीतीश सरकार के लिया बनेगा गले की फांस

बहरहाल किशनगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर हुसैन के उर्दू भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने के आदेश का व्यापक विरोध होना शुरु हो गया है। सबसे बड़ा सवाल है कि आदेश जारी करने के पहले क्या डीआओ साहब ने शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से सहमति ली थी? आज ऊर्दू को लेकर आधेश जारी हो रहा है, कल संस्कृत को लेकर फरमान की मांग होगी, क्या DEO नासिर हुसैन का आदेश नीतीश सरकार के लिए गले की फांस नहीं बनेगा। इलकी चिंगारी उठनी शुरु हो गई है। क्या नीतीश सरकार में अधिकारी स्वच्छंद हो गए हैं। डीईओ के फरमान से  सियासी तापमान बढ़ना शुरु हो गया है।सरकार देखिए... 

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