Nalanda Gyan Kumbh: नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर के परिसर में तीन दिवसीय नालंदा ज्ञानकुंभ का आगाज आज (16 अक्टूबर) शनिवार को हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर किया। नालंदा ज्ञान कुंभ का उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, पूर्व राज्यपाल सिक्किम गंगा प्रसाद,उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी, कुलपति नालंदा विश्वविद्यालय प्रो अभय कुमार सिंह, ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार, पूर्व कुलपति सह कुंभ के अध्यक्ष प्रो केसी सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया। अतिथियों का स्वागत नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने किया।संचालन सरला बिरला विवि के कुलसचिव प्रो विजय सिंह और धन्यवाद ज्ञापन पूर्व कुलपति प्रो के सी सिन्हा ने किया।
राज्यपाल का संबोधन
नालंदा की भूमि ज्ञान परंपरा की भूमि रही है। यहां आए हुए प्रतिनिधि,शोधार्थी,शिक्षाविद ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। भारतीय ज्ञान परंपरा सभी विषयों को स्पर्श करती है। आने वाले 2047 में हम सभी भारतीय ज्ञान परंपरा को साथ लेकर विकसित भारत के निर्माण में सहयोग करेंगे। उक्त बातें ज्ञान कुंभ के उद्घाटनकर्ता बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार को नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित नालंदा ज्ञान कुंभ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने नालंदा ज्ञान कुंभ के विषय विकसित भारत @ 2047 : भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय स्व के जागरण का समय है। जिसमें स्व भाषा,स्व संस्कृति,स्व परंपरा को जागृत कर भारत को विकसित बनाया जा सकता है। विकसित भारत का सपना केवल भौतिक विकास नहीं बल्कि स्व का आग्रह है। हमें सबसे पहले अपने भारतीय उत्पादों को सुरक्षित करने के साथ खरीदना होगा तभी भारत का स्व का जागरण शुरू होगा। उन्होंने अपनी मातृभाषा को प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने स्व शिक्षा पर बोलते हुए कहा कि हमें अंग्रेजी को नहीं बल्कि स्व भाषा को शिक्षा के रूप में लाने की जरूरत है। भारत सोने की चिड़िया नहीं बल्कि सोने का शेर बनेगा।
नालंदा का ज्ञान परंपरा लौटाने पर दिया बल
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व राज्यपाल सिक्किम गंगा प्रसाद ने कहा कि भारत कई सौ वर्षों से गुलाम रहा और इसकी संस्कृति भाषा पर हमले किए गए। जिसमें हमारी संस्कृति और भाषा को नष्ट करने का प्रयास किया गया। लेकिन अब 2047 में भारत विकसित और आत्म निर्भर बने इसके लिए हम सभी को कार्य करना पड़ेगा। हम फिर से नालंदा की प्राचीन शिक्षा पद्धति और ज्ञान परंपरा को लौटाने पर बल देना चाहिए। विद्यार्थी आत्मनिर्भर बने ,यह शिक्षा का लक्ष्य होना चाहिए। मनुष्य, मनुष्य बन सकें इस पर हम सभी को विचार करना होगा। भारत ही एक ऐसा देश है जो शांति का संदेश देता रहा है।
भारतीय ज्ञान परंपरा का कोई अंत नहीं
मुख्य वक्ता न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि प्राचीन नालंदा के अवशेष बताते है कि लोग कई देशों से यहां पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन आज स्थिति इसके विपरीत है कि लोग विदेशों में पढ़ने जा रहे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से देश की शिक्षा बदलेगी। आज अंग्रेजी गांवों तक फैलती जा रही है,जिसे हम सभी को समझ कर अपनी मातृभाषा आधारित शिक्षा पर विचार की आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा में कोई फुल स्टॉप नहीं है।भारतीय ज्ञान परंपरा एकत्व का संदेश देती है,क्योंकि दुनिया में भारत ही वसुधैव कुटुंबकम् का विचार हमेशा देता रहा है। भारतीय ज्ञान परंपरा में पहले व्यवहार की बात होती है फिर सिद्धांत की बात होती है।यहीं नई शिक्षा नीति में समाहित है।
नालंदा में आते थे दुनिया भर के लोग
मुख्य अतिथि सूबे के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि दुनिया में लोग नालंदा ज्ञान के लिए आते थे, इसलिए 2006 में नालंदा विश्वविद्यालय बनाने की परिकल्पना तय की गई और वर्ष 2024 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया। शिक्षा को हम पूरी तरीके से अपने ज्ञान में लाए।आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया भर में लोकप्रिय हुए है जो भारत की एक नई तस्वीर प्रस्तुत करेगा। बिहार के स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई हो इसके हम सब सरकार की तरफ से संकल्पित है।
प्रयागराज में लगेगा महाज्ञान कुंभ
ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार ने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने शिक्षा में भारतीयता को लेकर कार्य किया है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों को शामिल किया गया है। जिन चार जगहों पर न्यास की ओर से ज्ञान कुंभ हो रहा है वे सभी ज्ञान के स्थल रहे है। चारों ज्ञान कुंभ के आयोजन के बाद प्रयागराज में महा ज्ञान कुंभ लगेगा। जिस प्रकार आदि गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की है,उसी प्रकार यह ज्ञान कुंभ भी एक कड़ी है। जो ऐतिहासिक होने वाला है।
कार्यक्रम में बिहार के अलावा 13 राज्यों के शिक्षाविद,शोधार्थी विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। बिहार के कई विश्वविद्यालय के कुलपति भी मौजूद रहे।इसमें न्यास के राष्ट्रीय संयोजक ए विनोद, सुरेश गुप्ता, संजय स्वामी, प्रो आलोक चक्रवाल,प्रो नीलांबरी दवे, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी, जेपी विवि के कुलपति प्रो परमेंद्र कुमार वाजपेयी, बी आर अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश चंद्र राय,नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार,कुलपति प्रो जवाहर लाल, कुलसचिव प्रो रमेश प्रताप सिंह परिहार, डॉ रणविजय कुमार, डॉ आलोक सिंह, अजय यादव, दयानंद मेहता,प्रांत संयोजक डॉ संदीप सागर, आशुतोष कुमार सिंह,प्रो शंभू शरण शर्मा, डॉ बिंकटेश्वर चौधरी, डॉ पंकज कुमार, डॉ आदित्य कुमार आनंद सहित कई लोग उपस्थित थे।