Pashupati Paras News: चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच पारिवारिक और राजनीतिक संघर्ष लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर विभाजन और पार्टी नेतृत्व को लेकर यह तनाव तब से जारी है जब पशुपति पारस ने पार्टी के एक बड़े हिस्से को अपने साथ कर लिया था। इस लेख में हम उस घटनाक्रम को विस्तार से देखेंगे, जब बिहार सरकार ने पारस को उनके पटना स्थित आवास से बेदखल कर दिया।
क्या है पूरा मामला? पटना हवाई अड्डे के पास स्थित आवास की कहानी
पशुपति पारस का पटना स्थित निवास, जो उनके परिवार के साथ 40 वर्षों से उनका निवास स्थान रहा है, को सरकारी कार्यालय के रूप में पंजीकृत किया गया था। यह इमारत मूल रूप से लोक जनशक्ति पार्टी कार्यालय के रूप में पंजीकृत थी, जिसे उनके दिवंगत भाई और पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान ने स्थापित किया था। राजनीतिक माहौल और पारिवारिक विवाद के कारण अब यह स्थान एक बड़ी समस्या का कारण बन चुका है।
विवाद की पृष्ठभूमि और राजनीतिक दांवपेंच
रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में नेतृत्व का प्रश्न उठा। पार्टी को संगठित रखने की जिम्मेदारी रामविलास के बेटे चिराग पासवान ने अपने कंधों पर ली, लेकिन पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं, जिनमें पशुपति पारस भी शामिल थे, ने पार्टी को दो गुटों में बांट दिया। इसके बाद से ही चिराग और पशुपति के बीच विवाद बढ़ता गया, जिसका असर पार्टी कार्यालय के आवास पर भी पड़ा।
बिहार सरकार की कार्रवाई और पशुपति पारस की प्रतिक्रिया
11 नवंबर को, बिहार सरकार ने पशुपति पारस को पटना में उनके आवास से बेदखल कर दिया। हालांकि, सरकार ने उन्हें 13 नवंबर तक का समय दिया था, लेकिन इसके पहले ही इमारत खाली करवा ली गई। इसके बाद पारस अपने एमएलए कॉलोनी स्थित आवास में चले गए हैं। बेदखली की इस कार्रवाई के विरोध में, पारस ने दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से सहायता मांगी, लेकिन पार्टी के सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान इस मामले पर अडिग हैं और उनका निर्णय बदलने की कोई संभावना नहीं है।
दिल्ली में चिराग पासवान की बेदखली और पारिवारिक विवाद का असर
यह पहली बार नहीं है जब पासवान परिवार को बेदखली का सामना करना पड़ा है। चिराग पासवान को भी दो साल पहले दिल्ली में अपने सरकारी आवास से बेदखल कर दिया गया था। यह संपत्ति उनके पिता रामविलास पासवान का स्थायी निवास रही थी, जहां वे सोनिया गांधी के पड़ोसी भी थे। मार्च 2022 में चिराग को इस बंगले से बाहर कर दिया गया, जिससे परिवार के मनोबल को गहरी चोट पहुंची। उस समय चिराग ने अपने चाचा पशुपति पारस को इसके लिए दोषी ठहराया।