Bihar love marriage: मोहब्बत की अदालत में भीड़ का फैसला, बिहार में इश्क का अंजाम, प्रेमिका ऐसे बनी पत्नी

Bihar love marriage: प्रेमी मिलने आया था दिल की पुकार पर, मगर लौटते वक़्त उसके साथ किस्मत ने पत्नी का नाम जोड़ दिया। ...

Love court and crowd verdict in Gopalganj
मोहब्बत की अदालत में भीड़ का फैसला- फोटो : social Media

Bihar love marriage: बिहार की शाम में उस दिन इश्क़ किसी ख़ामोश कविता की तरह नहीं उतरा, बल्कि भीड़ की आवाज़ों, तकरार और तमाशे के शोर में घुल गया। प्रेमी मिलने आया था दिल की पुकार पर, मगर लौटते वक़्त उसके साथ किस्मत ने पत्नी का नाम जोड़ दिया। यह कहानी है उस मोहब्बत की, जिसे न अदालत ने समझा, न काग़ज़ों ने थामा और अंततः मंदिर की सीढ़ियों पर सिंदूर ने मुक़द्दर लिख दिया।

सीवान जिले के जामो थाना क्षेत्र के सिकटिया गांव का रहने वाला धर्मेंद्र कुमार, गोपालगंज की सिधवलिया थाना क्षेत्र के शेर गांव की काजल कुमारी से मिलने पहुंचा था। फ़ोन पर हुई बातें, मुलाक़ात का वादा—सब कुछ एक आम प्रेमकथा जैसा था। मगर काजल ने अपने घरवालों को सच बता दिया। सच, जो अक्सर आग बन जाता है। घरवालों ने धर्मेंद्र को पकड़ लिया; सवाल-जवाब हुए, आवाज़ें ऊँची हुईं, और मोहब्बत कटघरे में खड़ी कर दी गई।

धर्मेंद्र ने शादी से इनकार किया। इनकार, जो भीड़ को नागवार गुज़रा। हाथ उठे, लहजा सख़्त हुआ। फिर दोनों को कोर्ट परिसर ले जाया गया—जहाँ काग़ज़ी प्रक्रिया की सुस्ती ने भीड़ के सब्र को और खुरच दिया। अदालत की देरी ने मंदिर की जल्दी को जन्म दिया। मौनिया चौक के हनुमान मंदिर की घंटियाँ गूंजीं, और भीड़ ने फ़ैसला सुना दिया।

मंदिर के साये में भी धर्मेंद्र ने इंकार की कोशिश की। फिर वही हुआ जो भीड़ चाहती थी धक्का, धमकी और दबाव। आख़िरकार, काजल की मांग में सिंदूर पड़ा। रस्म पूरी हुई, वीडियो बने, और सोशल मीडिया ने इस इश्क़ को तमाशा बना दिया।

यह कहानी सिर्फ़ दो दिलों की नहीं; यह समाज की उस अदालत की है, जहाँ मोहब्बत की सुनवाई शोर में होती है। जहां क़ानून की धीमी चाल, भीड़ की तेज़ रफ़्तार से हार जाती है। और जहां प्रेम, अपनी मर्ज़ी से नहीं मजबूरी से मुकम्मल होता है।

रिपोर्ट- नमोनारायण मिश्रा