एक स्टडी के मुताबिक अगर बच्चों को जन्म के बाद शुरुआती 1000 दिनों तक शुगर न दिया जाए तो एडल्ट लाइफ में उन्हें क्रॉनिक डिजीज होने का जोखिम कम किया जा सकता है। इन शुरुआती दिनों में बच्चे के गर्भ में पलने के दिन भी शामिल हैं। इसका मतलब है कि मां को कंसीविंग के दिन से ही अपनी डाइट में शुगर कट करना होगा।
इस स्टडी में पता चला है कि अगर बच्चों को शुरुआती जीवन में चीनी न खिलाई जाए तो टाइप–2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम 35% तक कम हो सकता है। मोटापे का जोखिम 30% कम हो सकता है और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम 20% तक कम हो सकता है। इसके अलावा उम्र के साथ होने वाली बीमारियां भी कुछ साल देर से होती हैं। शुरुआती उम्र में शुगर के सेवन से बच्चों का दिमागी और शारीरिक विकास प्रभवित हो सकता है। इससे कम उम्र में प्यूबर्टी और न्यूरोलॉजिकल डिजीज का जोखिम भी हो सकता है।
दो साल से कम उम्र के बच्चों के खाने में किसी तरह का ऐडेड शुगर इस्तेमाल नहीं करना है। इसकी वजह ऐडेड शुगर के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ने वाला असर है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों की डाइट में चीनी की बहुत थोड़ी सी मात्रा भी नुकसानदायक है। असल में इससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है। उन्हें बचपन में ही वेट गेन की समस्या भी हो सकती है। चीनी खाने से बच्चों को मूड स्विंग की समस्या हो सकती है। यह उनकी स्मृति में बाधक बन सकती है और इससे इंफ्लेमेशन हो सकता है।