हम सब के मन में बढ़ती हुई महंगाई को लेकर तमाम सारी चिंताएं आम है। हममें से कई सारे लोग आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। बहुत सारे लोग यह सोचकर परेशान रहते हैं कि उनके पास पैसे की कमी है। हमें लगता है कि हमारे पास जितना है, वह काफी नहीं है। कई बार न जाने क्या-क्या खर्चे सामने आ जाते हैं। साथ ही हम दबाव की वजह से भी कई सारे खर्च अपने ऊपर ओढ़ लेते हैं।
युवा में फाइनेंशियल स्ट्रेस
इसके बाद बनी आर्थिक तंगी की परिस्थितियों से परेशान हो जाते हैं और स्ट्रेस महसूस करते हैं। क्या हमने कभी इस बारे में सोचा है कि पैसे की कमी ही तनाव की असली वजह है या मुख्य वजह फिजूलखर्ची है। आजकल पैसे की चिंता हर किसी को है। चाहे बढ़ता हुआ कर्ज हो, शादी-विवाह हो या अचानक सामने आया कोई खर्च हो। आर्थिक कारणों से देश की एक बड़ी संख्या तनाव का सामना कर रही है। इसे ही फाइनेंशियल स्ट्रेस कहा जाता है।
गलत खर्चों से भी स्ट्रेस बढ़ता है
हम कई बार ऐसी चीजें खरीदते हैं, जिनकी आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह के गलत खर्चों से भी स्ट्रेस बढ़ता है। कैसे पैदा होती है यह स्थिति?देश में एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो 'बाय नाउ, पे लेटर' की सुविधा का इस्तेमाल अनावश्यक खरीदारी करने के लिए कर रहे हैं। कई ई-कॉमर्स कंपनियां यूजर्स को रिझाने के लिए ऐसी सुविधा प्रदान करती हैं। इसमें यूजर कोई भी सामान उधार के रूप में खरीद सकता है और बाद में पेमेंट कर सकता है।
लोग कर्ज के जाल में फंसते जा रहे
साथ ही देश में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बेतहाशा तरीके से बढ़ रहा है। देश के युवा महंगे स्मार्टफोन, घड़ियां, जूते जैसे सामान खरीदने में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। किस्त की सुविधा होने की वजह से लोग अपनी सीमा से बाहर जाकर खरीदारी कर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं और इस वजह से तनाव में जी रहे हैं।