भारत में मकर संक्रांति एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो हर साल जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है और इसे दान, स्नान, और खिचड़ी बनाने के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खिचड़ी का नवग्रहों और देवी-देवताओं से गहरा संबंध है? आइए इस विषय को विस्तार से समझें।
मकर संक्रांति और सूर्य का महत्व
मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन शनि देव के घर में सूर्य के आगमन का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन स्नान, दान, और खिचड़ी का भोग विशेष पुण्यफल प्रदान करता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव को खिचड़ी का भोग लगाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
खिचड़ी और नवग्रहों का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, खिचड़ी में उपयोग होने वाली सामग्री का संबंध विभिन्न ग्रहों से है।
चावल: चावल का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से है। यह ग्रह मानसिक शांति और जीवन में संतुलन लाते हैं।
काली दाल: काली उड़द की दाल का संबंध शनि, राहु और केतु से है। यह ग्रह जीवन में स्थिरता और न्याय प्रदान करते हैं।
हल्दी: खिचड़ी में डाली जाने वाली हल्दी बृहस्पति ग्रह का प्रतीक है। यह ज्ञान और स्वास्थ्य में वृद्धि करती है।
हरी सब्जियां: हरी सब्जियों का संबंध बुध ग्रह से है, जो बुद्धिमत्ता और संचार को मजबूत करता है।
तिल और गर्माहट: तिल और खिचड़ी की गर्माहट सूर्य और मंगल ग्रह से जुड़ी होती है, जो ऊर्जा और साहस का प्रतीक है।
इन सामग्रियों का संतुलित उपयोग नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है।
किन देवताओं को लगाया जाता है खिचड़ी का भोग?
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग विशेष रूप से सूर्यदेव और शनि देव को अर्पित किया जाता है।
सूर्यदेव: सूर्यदेव को खिचड़ी का भोग लगाने से आत्मा की शुद्धि होती है और जीवन में ऊर्जा का संचार होता है।
शनि देव: शनि देव को काली उड़द की खिचड़ी में काले तिल मिलाकर भोग लगाना चाहिए। इससे जीवन की कठिनाइयों में कमी आती है और शनि की दशा का प्रभाव कम होता है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। खिचड़ी की सामग्री नवग्रहों को संतुष्ट करती है और जीवन में शांति और समृद्धि लाती है। इसके साथ ही, खिचड़ी का भोग लगाने से देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति का पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन में शुभता और सकारात्मकता लाने का अवसर है। खिचड़ी के माध्यम से नवग्रहों और देवी-देवताओं को प्रसन्न करना हिंदू धर्म की एक अद्भुत परंपरा है। इस साल मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाकर नवग्रहों की कृपा और देवी-देवताओं का आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें।
Disclaimer: यह लेख धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी ज्योतिषीय उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।