दादी-नानी की परंपराएं, भले ही समय के साथ पुरानी लगें, लेकिन उनके पीछे गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण होते हैं। ऐसी ही एक परंपरा है थाली में 3 रोटियां न परोसने की। यह सुनने में साधारण बात लग सकती है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व छिपा हुआ है।
क्या कहती हैं धार्मिक मान्यता:
सनातन धर्म में पितरों (मृत पूर्वजों) के लिए भोजन चढ़ाने की परंपरा है। इस प्रक्रिया में उनके लिए तीन रोटियां रखी जाती हैं। इसे मृत आत्माओं को अर्पित भोजन का प्रतीक माना गया है। ऐसे में जीवित व्यक्तियों के लिए थाली में 3 रोटियां परोसना अशुभ और पितरों का आह्वान करने जैसा माना जाता है। इस वजह से इसे शुभ कार्यों में टालने की सलाह दी जाती है।
क्या है ज्योतिषीय कारण:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 3 अंक को अशुभ माना गया है। इसे विषम संख्या में वह स्थान प्राप्त है जिसे शुभ कार्यों के लिए टाला जाता है। हालांकि विषम संख्याएं जैसे 5, 7, और 11 शुभ मानी जाती हैं, लेकिन 3 को किसी कार्य में अशुभ प्रभाव डालने वाला समझा गया है।
ऐसे थाली में 3 परोसे रोटियां:
यदि 3 रोटियां ही आवश्यक हों, तो इसे परोसने के तरीके में बदलाव करना चाहिए। उदाहरण के लिए, दो रोटियां पहले परोसें और तीसरी बाद में। या फिर रोटी का एक छोटा हिस्सा तोड़कर 3 को 4 में परिवर्तित कर लें।
विशेष जानकारी:
दादी-नानी की यह सलाह भले ही वैज्ञानिक रूप से सिद्ध न हो, लेकिन इसमें शुभ-अशुभ और पारंपरिक मान्यताओं का मिश्रण है। इसका पालन करने से कोई नुकसान नहीं होता, बल्कि यह परिवार में शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
Disclaimer: यह जानकारी शास्त्रों और मान्यताओं पर आधारित है। इसे अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।