सर्दी का मौसम आ चुका है, और ठंड के साथ-साथ कुछ लोगों को एक गंभीर मानसिक समस्या का सामना भी करना पड़ता है, जिसे विंटर डिप्रेशन या सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) कहा जाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य समस्या खासतौर पर सर्दियों में होती है, जब सूरज की रोशनी कम होती है और दिन छोटे हो जाते हैं। इस दौरान लोग चिड़चिड़ेपन, आलस्य और तनाव जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं, जो कि डिप्रेशन के सामान्य लक्षणों से मिलते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2015 में 30 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन से प्रभावित थे, और भारत में लगभग 15% वयस्क मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हैं। विंटर डिप्रेशन को पहचानने और इससे निपटने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम विंटर डिप्रेशन के लक्षण, कारण और इससे बचने के उपायों पर चर्चा करेंगे।
विटामिन D का महत्व
विंटर डिप्रेशन से बचने के लिए विटामिन D सबसे ज्यादा जरूरी है। ये शरीर में सेरोटॉनिन के लेवल को बढ़ाता है। सेरोटॉनिन एक हैप्पी हॉर्मोन है, जो मूड को संतुलित रखता है। इसके अलावा विंटर डिप्रेशन से बचने के लिए नीचे ग्राफिक में दिए गए टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
विटामिन D हमारी सेहत के लिए एक जरूरी विटामिन है। इसका प्रमुख सोर्स सूरज की रोशनी है। जब सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होती है तो बॉडी की सर्केडियन रिद्म बदल जाती है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब हमारी स्किन सूर्य की किरणों के संपर्क में आती है तो शरीर विटामिन D प्रोड्यूस करता है, जो कि हड्डियों, इम्यून सिस्टम और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
15 से 30 मिनट तक हल्की धूप में बैठें
सर्दियों में सूरज की रोशनी का हल्का-सा संपर्क भी महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए अगर संभव हो तो रोजाना 15 से 30 मिनट तक हल्की धूप में बैठें। यदि बाहर जाना संभव न हो तो विटामिन D सप्लीमेंट्स का सेवन भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।