Bihar News: आवेदन देने से क्या होता है ‘रे’? तिरंगा यात्रा पर जमुई में एसडीएम और थानेदार से लोगों की तीखी तकरार, बुज़ुर्ग ने कहा- अगर भारत माता की जय कहने में अड़चन है, तो यह हमारी आज़ादी पर धब्बा है
Bihar News: 12 अगस्त को जमुई की सरज़मीं पर तिरंगा यात्रा के दौरान ऐसा मंज़र देखने को मिला जिसने लोगों के दिलों में ग़ुस्सा, हैरत और मायूसी तीनों भर दी।

Bihar News: 12 अगस्त को जमुई की सरज़मीं पर तिरंगा यात्रा के दौरान ऐसा मंज़र देखने को मिला जिसने लोगों के दिलों में ग़ुस्सा, हैरत और मायूसी तीनों भर दी। मामला नेचर विलेज के संस्थापक निर्भय प्रताप और जमुई के SDM सौरव कुमार के बीच तीखे विवाद का है। निर्भय प्रताप का कहना है कि उन्होंने 4 अगस्त को ही इस यात्रा के आयोजन के लिए SDM ऑफिस में आवेदन दिया था, और 6 अगस्त को सहमति पत्र भी प्रशासन की ओर से जारी किया गया। वायरल वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि एसडीएम धमकी दे रहे हैं कि अगर तिरंगा यात्रा निकली तो केस कर देंगे। जबकि उनके दफ्तर में पहले हीं सूचित कर दिया गया था जिस बावत एसडीओ कार्यालय से चिठ्ठी भी निकाली गई है।
लेकिन तिरंगा यात्रा के दिन हालात अचानक बिगड़ गए। आरोप है कि SDM सौरव कुमार ने उन्हें FIR की धमकी दे डाली। इसके बाद स्थिति और गरम हो गई जब जमुई थाना प्रभारी अमरेंद्र कुमार के साथ निर्भय प्रताप की गरमागरम बहस हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में थानेदार की जुबान सुनकर लोग दंग हैं “आवेदन देने से क्या होता है ‘रे’?” इस एक शब्द ने वहां मौजूद देशभक्त भीड़ को अंदर तक झकझोर दिया।
निर्भय प्रताप ने सवाल उठाया “हम भारत में हैं या पाकिस्तान में?” उनका कहना था कि यह कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि राष्ट्रध्वज के सम्मान का जुलूस था, जिसमें ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ जैसे नारे गूंज रहे थे। लेकिन प्रशासन और पुलिस के रवैये ने वहां मौजूद सैकड़ों लोगों को स्तब्ध और आहत कर दिया।
लोगों के बीच यह चर्चा ज़ोरों पर है कि कहीं न कहीं जमुई पुलिस और प्रशासन किसी दबाव में आकर कार्रवाई कर रहा है। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि यह रवैया उस भावना के खिलाफ है, जो स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे मौकों पर पूरे देश को एकजुट करती है।
जमुई की गलियों और सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो वायरल हो रहे हैं। हालाकि न्यूज4नेशन वीडियो की पुष्टि नहीं करता। हर जगह एक ही चर्चा “तिरंगे के नाम पर राजनीति क्यों?” समर्थकों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए था कि इस यात्रा को देशभक्ति के उत्सव के रूप में समर्थन दे, न कि टकराव का कारण बनाए।
घटना के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि माहौल बेहद भावनात्मक था। बच्चे, बुज़ुर्ग, महिलाएं सभी हाथों में तिरंगा लिए गा रहे थे “जन गण मन” और “सारे जहाँ से अच्छा”, लेकिन अचानक पुलिस और आयोजकों के बीच तनातनी ने माहौल को संग्राम के मैदान में बदल दिया।
लोगों की भावनाएं उबाल पर हैं। एक बुज़ुर्ग ने कहा, “अगर भारत माता की जय कहने में अड़चन है, तो यह हमारी आज़ादी पर धब्बा है।” वहीं, युवाओं ने चेतावनी दी कि वे इस मामले को लेकर जमकर आवाज़ उठाएंगे।
जमुई की यह घटना सिर्फ एक विवाद नहीं, बल्कि यह सवाल है कि देशभक्ति के जश्न में प्रशासन की भूमिका सहयोगी की होनी चाहिए या अवरोधक की? तिरंगा यात्रा के बहाने उठा यह तूफ़ान अब रुकने का नाम नहीं ले रहा, और लगता है आने वाले दिनों में जमुई का माहौल और गरमा सकता है।
रिपोर्ट- सुमित कुमार सिंह