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Bihar News: कानाफूसी....'साहेब' ने 'माननीय' से सार्वजनिक तौर पर पूछ दिया, क्या जी.....! विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा पर लगा ग्रहण, सहयोगी दल की सीटिंग सीट पर ठोका था दावा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में जुटे सत्ताधारी दल के एक माननीय की मंशा पर पानी फिरते दिख रहा है. पार्टी के सर्वेसर्वा ने इस घोषणा पर गहरी नाराजगी जताई है. साहेब ने सार्वजनिक तौर पर हिदायत देते कहा कि यह गठबंधन धर्म के खिलाफ है.

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नेताजी का कार्टून- फोटो : GOOGLE

Bihar News: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव को लेकर तैयारी शुरू हो गई है. राजनैतिक दलों के साथ-साथ संभावित प्रत्याशी भी तैयारी में जुट गए हैं. सत्ताधारी दल के एक 'माननीय' जो वर्तमान में उच्च सदन के सदस्य हैं, वे भी चुनाव लड़ने को उत्सुक हैं. उत्सुक क्यों न रहें, लंबे समय से जो ऊपरी सदन के सदस्य हैं. 'इलेक्टेड' नहीं बल्कि 'सेलेक्टेड' हैं. आने वाले समय में 'माननीय' का कार्यकाल पूरा होने वाला है, अगली दफे उच्च सदन जाने की गुंजाईश न के बराबर है. वे आगे भी पांच सालों तक सेट होना चाहते हैं. इसके लिए तो चुनाव लड़ना पड़ेगा. 'माननीय' विधानसभा के रण में उतरने का मन बनाए हुए हैं. बजाप्ता अपनी जाति-समीकरण के हिसाब से पटना जिले (पूर्वी क्षेत्र) के एक विधानसभा क्षेत्र का चयन भी कर लिया है. उन्होंने चुनाव लड़ने को लेकर एक महीना पहले ही ऐलान कर दिया है. लेकिन इस रास्ते में बहुत बड़ी बाधा है. वो ऐसी बाधा है, जिसे पार पाना पहाड़ चढ़ने के बराबर है. 'माननीय' के विधानसभा चुनाव लड़ने की प्लानिंग के बारे में 'साहेब' भी जान गए हैं. लिहाजा उन्होंने एक कार्यक्रम में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेताजी को सार्वजनिक तौर पर हिदायत दे दी. कई नेताओं के सामने 'साहेब' ने ऐसा कहा जिसे सुनकर 'माननीय' के होश फाख्ता हो गए. आसपास कई लोग मौजूद थे और सबने वो बातें सुन ली।

क्या जी...वहां से चुनाव लड़ने वाले हैं ? 

बात कर रहे हैं सत्ताधारी जमात की. वो पार्टी बिहार की सरकार में ड्राइविंग सीट पर है. पार्टी के मुखिया के बारे में बहुत कुछ बताने की जरूरत नहीं. वे पार्टी और सरकार के प्रमुख हैं. उनके इशारे बिना कुछ भी संभव नहीं. पार्टी और सरकार में इन्हें 'साहेब' कहकर संबोधित किया जाता है. यह बात हर कोई जानता है.अब मूल खबर पर आते है.....। साहेब एक दिन पहले पार्टी के एक बड़े नेता (जो सरकार में भी हैं) के निजी कार्यक्रम में शिरकत करने उनके सरकारी आवास गए थे. वे जब वहां पहुंचे तब उनकी नजर दल के एक 'माननीय' पर पड़ी. वे भी उक्त कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. 'साहेब' की नजर जैसे ही उस 'माननीय' पर पड़ी, बोले- ''क्या जी...आप बा# सीट से चुनाव लड़ने का घोषणा कर दिए हैं ? ऐसा क्यों किए हैं ? वो सीट सहयोगी दल के खाते में है, वहां से उस पार्टी का सीटिंग विधायक है. ये अच्छी बात नहीं है. गठबंधन में ऐसा करना गलत है. गठबंधन धर्म का पालन करें.''  बेचारे 'माननीय' तो फंस गए...बोलते रहे नहीं सर,नहीं सर. मामला फंसते देख, बीच में एक बड़े नेता कूदे और मामले को हल्का करते हुए बात को दूसरी तरफ मोड़ा. 

जंगल में आग की तरह फैल गई यह खबर 

 यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. खबर मुंहा-मुंही बाहर आ गई। पार्टी दफ्तर में भी यह चर्चा पहुंच गई. इतना ही नहीं जिस क्षेत्र से चुनाव लड़ने को इच्छुक हैं, वहां भी यह खबर फैल गई है. अब चर्चा शुरू हो गई है कि, माननीय अपने 'साहेब' की अनुमति के बगैर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिए थे. 


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