Bihar Crime: सीएमआर गोदाम छापेमारी, डीएम अनजान, जांच के आदेश, कालाबाजारी या प्रशासनिक नाटक
Bihar News : खाद्यान्न कालाबाजारी को लेकर उठे सवालों ने जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। छापेमारी के दौरान एसडीएम ने गोदाम में अनाज की कमी और कालाबाजारी की आशंका जताई थी...

Katihar: जिला में खाद्यान्न कालाबाजारी को लेकर उठे सवालों ने जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। राज्य खाद्य निगम (SFC) के सीएमआर गोदाम में 14 अगस्त को एसडीएम आलोक चंद चौधरी की छापेमारी के बाद जो तस्वीर सामने आई, उसने अब पूरे ज़िले में नई बहस छेड़ दी है। छापेमारी के दौरान एसडीएम ने गोदाम में अनाज की कमी और कालाबाजारी की आशंका जताई थी। इसी बीच एक निजी गाड़ी से तीन लाख रुपये नकद बरामद किए गए। गाड़ी और पैसे को नगर थाना में सुपुर्द कर दिया गया। एजीएम की गैरमौजूदगी में हुई इस कार्रवाई ने हलचल मचा दी।
हालांकि, ठीक अगले दिन यानी 15 अगस्त की शाम होते-होते पूरा मामला उलझ गया। जिन लोगों को कालाबाजारी की आशंका पर डिटेन कराया गया था, उन्हें रात होते-होते “आवेदन के आधार पर दोषमुक्त” बताकर छोड़ दिया गया। इस ‘पकड़ो और छोड़ो’ रवैये ने प्रशासन की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। जिला अधिकारी ने साफ किया है कि उन्हें छापेमारी की पहले से कोई सूचना नहीं थी। न रेड की जानकारी दी गई और न ही इसकी अनुमति ली गई। अब उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, यह भी कहा कि अगर जांच में एसडीओ की भूमिका संदिग्ध पाई गई तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
कटिहार का यह सीएमआर गोदाम ज़िले के अलावा कई अनुमंडलों में अनाज वितरण का केंद्र है। सवाल यह है कि क्या यहां से खाद्यान्न कालाबाजारी का कोई संगठित रैकेट चल रहा है?क्या अधिकारी भी इस खेल का हिस्सा बनकर लाभ उठा रहे हैं?और, क्या छापेमारी महज़ औपचारिकता बनकर रह गई?
पूरा मामला अब जांच के दायरे में है। नतीजा क्या निकलेगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। लेकिन फिलहाल यह घटना प्रशासन की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गहरे सवाल खड़े करती है।
रिपोर्ट- श्याम कुमार सिंह