Bihar Politics : लखीसराय में ‘विजय’ के सामने विपक्ष में महाभारत, कांग्रेस में टिकट को लेकर विवाद, नेताओं ने पूर्व प्रत्याशी के खिलाफ खोला मोर्चा

Bihar Politics : लखीसराय में विजय सिन्हा के खिलाफ चुनाव लड़नेवाले विपक्ष में महाभारत छिड़ा है. टिकट को लेकर कांग्रेस में अभी से विवाद सामने आ गया है......पढ़िए आगे

Bihar Politics : लखीसराय में ‘विजय’ के सामने विपक्ष में महाभ
लखीसराय में महाभारत - फोटो : SOCIAL MEDIA

Lakhisarai : लखीसराय विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस में विवाद लगातार गहराता जा रहा है। पहले पूर्व IAS और वरिष्ठ नेता गोरखनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर सवाल उठाए और अब AICC सदस्य पंकज कुमार सिंह ने भी चेतावनी दी है। गोरखनाथ ने पत्र में कहा कि—“लखीसराय जिला कांग्रेस अध्यक्ष अमरेश कुमार अनीश स्वयं विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। जबकि राहुल गांधी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जिला अध्यक्षों को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। यदि वही पैनल तैयार करेंगे तो निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।” उन्होंने मांग की कि लखीसराय सीट का पैनल किसी निष्पक्ष व्यक्ति से तैयार कराया जाए ताकि प्रक्रिया पारदर्शी रहे। इसी बीच, राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले AICC सदस्य पंकज कुमार सिंह ने भी कहा—“अगर अमरेश कुमार अनीश को टिकट मिला तो कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार भी लखीसराय से हार जाएगी और हार का अंतर कम से कम 15 हज़ार वोटों का होगा।”

पंकज कुमार सिंह की छवि पर सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि पंकज कुमार सिंह चुनावी मौसम में ही क्षेत्र में दिखाई देते हैं, बाकी समय दिल्ली में रहते हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग लिख रहे हैं—“यह कौन नया उम्मीदवार आ गया कांग्रेस से?” वहीं कुछ का कहना है कि वे उन्हें पहचानते तक नहीं हैं। इस वजह से कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच उनके ज़मीनी जुड़ाव पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

टिकट को लेकर खींचतान

2020 के विधानसभा चुनाव में अमरेश कुमार अनीश ने करीब 64 हज़ार वोट हासिल किए थे। हार के बावजूद वे इस बार दोबारा टिकट पाने की कोशिश में हैं। लेकिन पार्टी के भीतर उनके खिलाफ विरोध भी तेज़ होता जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि लखीसराय विधानसभा से स्क्रीनिंग कमेटी को केवल एक ही नाम भेजा गया है, जिससे कांग्रेस की आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

विजय सिन्हा का दबदबा

लखीसराय विधानसभा सीट पर विजय सिन्हा का राजनीतिक दबदबा लगातार बना हुआ है। 2010 से वे लगातार इस सीट से विधायक हैं। हालांकि 2005 के पहले विधानसभा चुनाव में विजय सिन्हा जीत गए थे, लेकिन उसी वर्ष हुए अगले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से वे लगातार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। विजय सिन्हा न केवल विधायक रहे हैं, बल्कि श्रम संसाधन मंत्री, विधानसभा स्पीकर, नेता विपक्ष और उपमुख्यमंत्री के रूप में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके व्यापक अनुभव और राजनीतिक पकड़ ने उन्हें क्षेत्र में मजबूत बनाकर रखा है। इस समय कांग्रेस में टिकट को लेकर जो खींचतान और विवाद चल रहा है, उससे यह साफ़ दिखाई दे रहा है कि लखीसराय में विजय सिन्हा की जीत का रास्ता और भी आसान हो गया है। कांग्रेस की आंतरिक अनबन और पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल उनके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं।

सीट बंटवारे का पेचीदा समीकरण

महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी तय नहीं हुआ है। पिछली बार कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार नए दलों के शामिल होने से समीकरण और कठिन हो गए हैं। ऐसे में लखीसराय को लेकर उठ रहा विवाद कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है।