17 अक्टूबर 2024, गुरुवार से कार्तिक मास का पावन व्रत-स्नान आरंभ हो रहा है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे शुभ और पुण्यदायी महीना माना गया है। यह मास विशेष रूप से भगवान विष्णु और शिव की आराधना का समय होता है। इस मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने की महिमा अत्यधिक है और यह स्नान तीर्थ स्नान के समान पुण्य फल देता है। यही कारण है कि कार्तिक मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों, जलाशयों और तीर्थ स्थलों पर स्नान के लिए पहुंचते हैं।
स्नान की अनंत महिमा: क्यों है यह मास विशेष?
कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस मास में किए गए स्नान से व्यक्ति के पिछले जन्मों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस मास में किया गया स्नान और दान भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। इसलिए इस मास को "दमोदर मास" भी कहा जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
"ॐ नमो नारायणाय" जप से हर मनोकामना होगी पूर्ण
सिर्फ स्नान ही नहीं, इस मास में जप का भी अत्यधिक महत्व है। जो भी साधक अपने गुरुदेव का स्मरण करते हुए "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जप करता है, उसे असाधारण पुण्य की प्राप्ति होती है। यह मंत्र साधक के जीवन में सकारात्मकता, शांति और समृद्धि लाता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से मानसिक शांति के साथ-साथ भौतिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस मंत्र का प्रभाव इतना शक्तिशाली होता है कि यह साधक के जीवन में चल रही हर विपरीत परिस्थिति को समाप्त कर देता है और उसे नया जीवन पथ प्रदान करता है।
स्कंद पुराण का संदेश कार्तिक मास का महत्व अनंत
स्कंद पुराण में कार्तिक मास की महिमा को प्रमुखता से वर्णित किया गया है। इसमें कहा गया है कि, “कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है।” इस कथन से स्पष्ट होता है कि कार्तिक मास में किया गया हर पुण्य कार्य जैसे दान, जप, तप और पूजा अक्षय फल देता है। इस मास में व्यक्ति जितना अधिक पुण्य अर्जित करता है, उसका जीवन उतना ही समृद्ध और सुखमय बनता जाता है।
दान-पुण्य से जीवन में लाएं सुख-समृद्धि
कार्तिक मास में स्नान और जप के साथ-साथ दान का भी विशेष महत्व है। इस मास में किया गया दान कई गुना पुण्य फल प्रदान करता है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार भोजन, वस्त्र, धन और जरूरतमंदों की सहायता करता है, उसे जीवन में कभी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता। खासतौर पर दीपदान और अन्नदान का महत्व इस मास में अत्यधिक होता है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से साधक के घर में कभी धन और अन्न की कमी नहीं होती।
कार्तिक मास के दौरान विशेष धार्मिक अनुष्ठान
स्नान विधि: सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर के शुद्ध जल से स्नान करें। स्नान के बाद तुलसी के पौधे के समक्ष दीपक जलाएं और "ॐ नमो नारायणाय" का जाप करें।
दान-पुण्य: इस मास में दान करना अत्यंत फलदायी होता है। वस्त्र, अन्न, दीपदान और धन का दान विशेष पुण्य प्रदान करता है।
मंत्र जप: प्रतिदिन "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होंगी।