Bihar Police: महज 30 दिनों के भीतर बिहार के 5 पुलिस समेत 1 चौकीदार हुए सस्पेंड! रिश्वत के चक्कर में दागदार हो रह पुलिसकर्मी, शराब और बालू माफिया के संग सांठ-गाठ की भी खबर

Bihar Police: बिहार के मधुबनी जिले में एक माह के भीतर पांच पुलिस अधिकारी और एक चौकीदार निलंबित हुए हैं। रिश्वत, मिलीभगत और कर्तव्यहीनता के आरोपों ने जिला पुलिस की छवि पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।

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बिहार पुलिस की फजीहत- फोटो : social media

Bihar Police: बिहार के मधुबनी जिले में महज एक महीने के भीतर 5 पुलिस अधिकारियों और 1 चौकीदार को निलंबित किया जाना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह पुलिस सिस्टम की गहराई में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इन सभी मामलों में या तो रिश्वतखोरी, मिलीभगत, या कर्तव्यहीनता का आरोप साबित हुआ है।

 किसे-किसे और क्यों किया गया निलंबित?

1. 29 मई - हरलाखी थाना एएसआई प्रमोद कुमार और चौकीदार अजय कुमार का रिश्वत लेते वीडियो वायरल हो गया। उन दोनों पर केस से नाम हटवाने के बदले रुपये लेने का आरोप लगा है। SP ने वायरल वीडियो की जांच कर कार्रवाई की।

2. 5 मई - हरलाखी थानाध्यक्ष जितेंद्र सहनी के ड्रग तस्करों से गहरे संबंध सामने आए। उन्होंने ड्रग तस्करों को गोपनीय सूचनाएं लीक की थी। इससे अनुसंधान में पक्षपात नजर आया। जांच के दौरान मुख्य आरोपी से सीधे संबंध उजागर होने के बाद निलंबन का आदेश जारी किया गया।

3. 3 मई - जयनगर थाना एसआई संतोष कुमार का बालू माफिया और भूमाफियाओं से सांठगांठ सामने आया। स्वेच्छाचारिता, लापरवाही और संदिग्ध आचरण का आरोप लगा। इस संबंध में थाना के ही उच्च अधिकारियों की तरफ से रिपोर्ट दी गई।

 4. 2 मई - बाबूबरही थाना एसआई दिलीप कुमार मिश्रा लंबित कांडों में अनुसंधान में रुचि नहीं दिखा रहे थे। उन्होंने केस से जुड़ा रिव्यू रिपोर्ट जमा नहीं कर रहे थे। अनुशासनहीनता और जनता से दुर्व्यवहार के लिए निलंबित किया गया।

 5. 27 अप्रैल - लखनौर थानाध्यक्ष रेणु कुमारी पर डकैती के केस को चोरी में बदलने का मामला सामने आया। जांच में भारी चूक और लापरवाही भी देखने को मिली। जांच में दोषी पाए जाने के बाद कार्रवाई की गई।

 पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार की सक्रियता

इन सभी मामलों में पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने या तो स्वतः संज्ञान लिया या फिर उच्च अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर त्वरित कार्रवाई की। इनका मुख्य संदेश है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 पुलिस की छवि पर असर: जनता कैसे भरोसा करे?

इन घटनाओं ने आम लोगों में भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है:

जांच के नाम पर वसूली

अपराधियों से सांठगांठ

FIR में पक्षपात और धमकी

ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि जब थानेदार खुद माफिया से मिले हों, तो आम जनता कहां जाए?”