Bihar Politics: प्रशांत किशोर की तेजस्वी यादव को चुनौती! कहा-' आपके पिता का राज नहीं है, जल्द ही मालूम पड़ जाएगा कि बिहार का...'

Bihar Politics: मधुबनी में 'बिहार बदलाव यात्रा' के दौरान जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला बोला। बोले- बिहार में अब राजा जनता चुनेगी, ये लोकतंत्र है।

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तेजस्वी यादव पर प्रशांत किशोर का हमला- फोटो : SOCIAL MEDIA

Bihar Politics: जन सुराज पार्टी के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार में अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत मधुबनी के झंझारपुर में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि ये उनके पिता जी का राज नहीं है, ये राजतंत्र नहीं है, ये लोकतंत्र है। बिहार की जनता तय करेगी कि बिहार का राजा कौन होगा।यह बयान उन परिस्थितियों में आया है जब हाल ही में तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर को "बरसाती मेंढक" कहा था। प्रशांत किशोर ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर हम मेंढक हैं, तो मेंढक की तरह टर्राएंगे ताकि जनता को सुनाई दे कि अब बिहार को कोई नहीं लूट सकता।”

जनता को चाहिए बदलाव

प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में कहा कि झंझारपुर में जो जनसैलाब उमड़ा, वो उनकी या जन सुराज की ताकत नहीं, बल्कि बिहार में बदलाव चाहने वाली जनता की ताकत है। उन्होंने कहा,अब लोग लालू के डर से बीजेपी को और बीजेपी के डर से लालू को वोट नहीं देंगे। अब जनता के पास जन सुराज का विकल्प है – बेहतर और ईमानदार।”उनका कहना है कि बिहार के लोगों ने सालों तक दोहरे डर की राजनीति झेली है। लेकिन अब वे अपने भविष्य के लिए एक नई राजनीतिक चेतना की तलाश कर रहे हैं, जिसका स्वरूप जन सुराज के रूप में उभर रहा है।

तीन साल से बिहार की जमीन पर, कोई बाहर से नहीं आया

प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि वे पिछले तीन वर्षों से लगातार बिहार में ही सक्रिय हैं। उन्होंने लोगों से संवाद कर, गांव-गांव जाकर, और घर-घर पहुंचकर एक लंबी राजनीतिक यात्रा की है। उन्होंने कहा,“हमें बाहर का आदमी कहने वाले खुद बिहार की जड़ों से कटे हैं। हमने बिहार में पसीना बहाया है, लोगों से सीधा संवाद किया है। हम हवा में नहीं, जमीन पर काम करते हैं।”

जन सुराज यात्रा भीड़ नहीं, भावना की ताकत

प्रशांत किशोर की ‘बिहार बदलाव यात्रा’ को कई जिलों में जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। लेकिन पीके बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि यह भीड़ उनकी या उनकी पार्टी की नहीं, बल्कि जनता की बदलाव की भावना की प्रतीक है।उनकी रणनीति पारंपरिक राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ जनता में राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देना है। वे सत्ता के खिलाफ सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि विकल्प बनने की बात करते हैं।