Bihar Politics:“नीतीश ...(अपशब्द) खाए खगड़िया में, आराम करे अररिया में” राजद विधायक का सीएम पर विवादित बयान, बग़ावती बोल से बढ़ा राजनीतिक पारा
राजद विधायक ने सीधे-सीधे कहा कि अररिया का नाम लिए बिना कहावतें चल रहीं “नीतीश ...(अपशब्द) खाए खगड़िया में, आराम करे अररिया में”...

राजद विधायक भरत भूषण मंडल का लौकहा से निकला ज़ोरदार भाषण रविवार को छातापुर के बलुआ बाजार स्थित आदर्श मध्य विद्यालय मैदान में राजनीति के तापमान को चढ़ा गया। उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि अररिया का नाम लिए बिना कहावतें चल रहीं “नीतीश ...(अपशब्द) खाए खगड़िया में, आराम करे अररिया में” और यही नारा उनके भाषण की नब्ज़ था। मंडल ने संवेदनशील मुद्दों को तिखा अंदाज में उठाते हुए कहा कि पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को सियासत में छोटा रखा जा रहा है; “पिछड़ों को कहता है कि तुम्हारे शरीर से बदबू आती है” यह आरोप उन्होंने खुलकर लगाया।
बोली में चरखी घुमाते हुए मंडल ने बिहार की सत्ता पर उच्चजातीय प्रभुत्व का ऐलान किया और नाम लिए बगैर वरिष्ठ नेताओं को आरामगाह बताकर तीखा व्यंग्य किया। उन्होंने कहा कि लालटेन से निकले उनकी लड़ाई का मतलब सिर्फ सत्ता-पलट नहीं, यह सामाजिक इन्साफ़ की मांग है — “ये आपका आदमी नहीं है” — उनके शब्दों में सत्ता के वर्चस्व का चेहरा असलियत में बेनक़ाब हुआ। मंडल ने स्थानीय विधायकों और मंत्रियों के ख़िलाफ़ भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और बबलू सिंह जैसे स्थानीय नेताओं को करारे शब्दों में निहारा; साथ ही मेहता जी के लिए जमकर तारीफ़ की और जनता से उनका भरोसा कायम रखने की अपील की।
भाषण में दलित-आज़ाद आवाज़ों की बात की गई मंडल ने आईआरएस निकलने वाले पिछड़ों और दलितों का ज़िक्र कर उनकी बुलंद आवाज़ को सराहा। भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि तमाम पार्टियों के शीर्ष पटल पर ब्राह्मण तबके का वर्चस्व है और यही बिहार की तरक्की का सबसे बड़ा रोड़ा बनता जा रहा है।
राजनैतिक तेवर में कटुता दिखी तो सामाजिक सरोकारों की आवाज़ भी थी । मंडल ने बेरोज़गारी, मजदूरों के अधिकार और युवाओं के ठगे जाने की बात उठाई और डबल इंजन सरकार की विफलताओं का खाका खींचा। कार्यक्रम में प्रदेश नेतृत्व सहित कई आनेवाले चेहरे मौजूद थे मंगनीलाल मंडल, मदन पासवान, कृष्णानंद भिंडवार, तरुण राम, कमलेश साह, सुमन पासवान, जयप्रकाश पासवान, अशोक मेहता और नीलम राम समेत अन्य। सभा के बाद सियासी हलचल तेज दिखी यह भाषण केवल आवेग नहीं, बल्कि अगले राजनीतिक मोड़ का प्रीमियर भी कहा जा सकता है।