Success Story: बिहार के कद्दावर आईपीएस अधिकारी स्वर्ण प्रभात आज अपने सख्त रवैये और बेहतरीन प्रशासनिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। अपराधी उनसे खौफ खाते हैं और जनता उनकी ईमानदारी की कायल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बहादुर अधिकारी ने आईआईटी से इंजीनियरिंग की, फिर लाखों के पैकेज वाली माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ी और यूपीएससी पास कर आईपीएस बने? उनकी कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है. स्वर्ण प्रभात मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के तरारी प्रखंड के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई झारखंड में हुई। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाले स्वर्ण प्रभात ने अपनी मेहनत के दम पर आईआईटी खड़गपुर में एडमिशन लिया, जहां से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। उनकी प्रतिभा ऐसी थी कि उन्हें दुनिया की नामी टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी मिल गई, वो भी लाखों के पैकेज पर। उन्होंने वहां दो साल तक नौकरी की, लेकिन उनका दिल किसी और ही तरफ था।
लाखों की नौकरी छोड़ी, बने यूपीएससी योद्धा
माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में शानदार करियर होने के बावजूद स्वर्ण प्रभात का सपना देश की सेवा करना था। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। पहले प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वर्ष 2016 में उन्होंने दूसरा प्रयास किया और 105वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बने। इसके बाद उन्हें बिहार कैडर मिला और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 2017 में उनकी पहली पोस्टिंग हुई। स्वर्ण प्रभात की गिनती बिहार के तेज-तर्रार आईपीएस अफसरों में होती है। अपनी सख्त कार्रवाई और ईमानदार छवि के कारण वे जहां भी तैनात होते हैं, वहां अपराधियों में दहशत का माहौल रहता है। हाल ही में बिहार विधानसभा में भी उनकी तारीफ हुई थी, जब भाजपा विधायक पवन जायसवाल ने उनके काम की तारीफ करते हुए कहा था, ''मोतिहारी में स्वर्ण प्रभात एसपी हैं, एक दिन में 200-200 घरों में कुर्की जब्ती होती है।''
होली पर हुड़दंगियों को सख्त अल्टीमेटम
अब जबकि होली नजदीक है, स्वर्ण प्रभात ने हुड़दंगियों को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा है कि जबरन रंग लगाने, धार्मिक स्थलों पर गुलाल फेंकने और शांति भंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उनके इस फैसले से समाज में सुरक्षा का माहौल बना है और लोग उनकी सख्ती की तारीफ कर रहे हैं। आईआईटी से माइक्रोसॉफ्ट और फिर यूपीएससी तक का सफर आसान नहीं था, लेकिन स्वर्ण प्रभात ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति से साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य साफ हो तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। आज वे बिहार के उन चंद आईपीएस अफसरों में शामिल हैं, जो ईमानदारी, सख्ती और प्रशासनिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं।