HOLI 2025: बिहार के मुंगेर जिले के सती स्थान गांव में पिछले 400 वर्षों से होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। यह गांव असरगंज प्रखंड के साजुआ और सती स्थान नामक दो गांवों में स्थित है, जहां लगभग 700 लोग रहते हैं। यहां की एक पुरानी परंपरा के अनुसार, ग्रामीण न तो रंग खेलते हैं और न ही होली के खास पकवान बनाते हैं। इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश करने वाले परिवारों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनके घरों में आग लगने जैसी घटनाएं शामिल हैं।
इस गांव में होली न मनाने का कारण एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि लगभग 400 साल पहले, इस गांव में एक महिला जिसका नाम सती था, अपने पति के साथ जलकर सती होने की इच्छा रखती थी। जब उसके पति की मृत्यु हो गई, तो उसने अपने पति की चिता में बैठकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन अंततः वह अपने पति के साथ जल गई। इसके बाद से गांव वालों ने मान लिया कि अगर वे होली मनाएंगे तो उनके ऊपर संकट आएगा।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि यहां सभी जातियों के लोग रहते हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति होली नहीं मनाता। वे सामान्य भोजन करते हैं और अन्य दिनों की तरह ही रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति फागुन महीने में पकवान बनाने का प्रयास करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
सती स्थान गांव में पिछले 400 वर्षों से होली नहीं मनी जाती है, और यह परंपरा आज भी कायम है। ग्रामीणों का मानना है कि इस परंपरा को तोड़ने वाले परिवारों को विपत्ति का सामना करना पड़ता है, जिससे वे इस त्योहार से दूर रहने को मजबूर हैं।