Bihar Pension Scheme - बिहार में चल रहीअनोखी योजना, हर महीने मुर्दों के खाते में सरकार भेजती है इतने रुपए

Bihar Pension Scheme - बिहार में मुर्दों के लिए भी पेंशन स्कीम चल रही है और हर महीने उनके खाते में पेंशन का राशि दी जा रही है।

Bihar Pension Scheme - बिहार में चल रहीअनोखी योजना, हर महीने

Muzaffarpur -बिहार में भ्रष्टाचार किस कदर हावि हो चुका  है कि यहां मुर्दों के लिए भी अधिकारियों ने पेंशन  की व्यवस्था कर दी  है। हर महीने मुर्दों को उनके पेंशन  की राशि उनके खाते में भेजी जाती है। जिस तरह यह योजना चलाई जा रही है, उसके बाद हर कोई हैरान है और अब दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। 

पूरा मामला मुजफ्फरपुर नगर निगम से जुड़ा है। जहां काम से ज्यादा दूसरे काम की चर्चा अधिक होती है। यहां  तीन साल पहले दिवंगत हो चुकी एक बुजुर्ग महिला को अब तक वृद्धावस्था पेंशन का भुगतान किया जा रहा है. हर महीने उनके खाते में 400 रुपये की राशि जमा हो रही है. यह चौंकाने वाली बात तब सामने आयी है, जब मृत महिला के परिजनों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ विधिवत आवेदन नगर निगम को सौंप दिया था. 

पूर्व महापौर सुरेश कुमार ने इस मामले को उजागर करते हुए नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने बताया कि यह मामला वार्ड नंबर 04 का है, जहां जीवित व्यक्ति पेंशन के लिए तरस रहे हैं, वहीं एक मृत महिला को लगातार पेंशन मिल रही है. यह घटना नगर निगम की घोर लापरवाही और वित्तीय अनियमितता को दर्शाती है. 

सुरेश कुमार ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करने के बावजूद नगर निगम का सिस्टम कैसे तीन साल तक इस गलती को पकड़ नहीं पाया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह लापरवाही भ्रष्टाचार का भी संकेत हो सकती है, जहां सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.

निगम की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह

यह घटना मुजफ्फरपुर नगर निगम के कामकाज पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है. जहां एक ओर जरूरतमंद जीवित पेंशन के लिए चक्कर काट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मृत व्यक्ति को पेंशन का भुगतान जारी रहना न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का भी अपमान है. सुरेश कुमार ने कहा कि अब देखना यह है कि नगर निगम इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करता है और कब तक इस ''मुर्दा पेंशन'' का सिलसिला थमता है.