Bihar Politics: चुनाव से पहले जनता का लेखा-जोखा, जदयू विधायक अशोक चौधरी ने खुद ही भुलाया सकरा का नक्शा, विकास के सवाल तेज

Bihar Politics:सकरा विधानसभा क्षेत्र के जदयू विधायक अशोक चौधरी इस बार अपने ही विधानसभा क्षेत्र को लेकर सुर्खियों में हैं।....

Bihar Politics: चुनाव से पहले जनता का लेखा-जोखा, जदयू विधायक
चुनाव से पहले जनता का लेखा-जोखा- फोटो : reporter

Bihar Politics:मुजफ्फरपुर के सकरा विधानसभा क्षेत्र के जदयू विधायक अशोक चौधरी इस बार अपने ही विधानसभा क्षेत्र को लेकर सुर्खियों में हैं। पिछले पांच वर्षों में अपने क्षेत्र के लिए विकास कार्यों पर सवाल उठने के बीच अब चुनाव के नजदीक आते ही उनका असली रंग सामने आया। सूत्रों और स्थानीय लोगों के मुताबिक़, अशोक चौधरी अक्सर अपने विधानसभा क्षेत्र को लेकर भ्रमित नजर आते हैं। कभी वे इसे पश्चिमी अनुमंडल तो कभी पूर्वी अनुमंडल बताने लगते हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि जो विधायक पांच साल तक क्षेत्र में घूमते रहे, उन्हें अपने अनुमंडल की सही जानकारी ही नहीं है।

सकरा विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरपुर का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ जदयू का प्रतिनिधित्व अशोक चौधरी के पास है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने महज कुछ ही वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके बावजूद, स्थानीय लोगों का आरोप है कि बीते पांच वर्षों में क्षेत्र के विकास में विधायक का योगदान नगण्य रहा। कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी स्थानीय लोग विधायक के विरोध में उतरे और विकास कार्यों को लेकर नाराज़गी जाहिर की।

अब जब आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं, तो संभावित प्रत्याशी जनता के बीच पहुंचकर समर्थन जुटाने में जुट गए हैं। वहीं अशोक चौधरी अस्वस्थ होने के कारण इस बार चुनाव में अपने पुत्र को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब पांच साल में स्वयं विधायक क्षेत्र के लिए ठोस काम नहीं कर पाए, तो अब पुत्र को चुनाव में उतारकर क्या साबित करना चाहते हैं।

हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान अशोक चौधरी ने एक बार फिर अपने विधानसभा क्षेत्र के अनुमंडल को लेकर भ्रमित बयान दिया। वे इसे कभी पूर्वी तो कभी पश्चिमी अनुमंडल बता रहे थे। इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें न केवल अपने विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं का पता नहीं है, बल्कि जनता की ज़रूरतों और अपेक्षाओं से भी दूरी बनी हुई है।

स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की स्थिति में जनता की नाराज़गी बढ़ सकती है और चुनावी मैदान में अन्य प्रत्याशियों को फायदा मिलने की संभावना है। वहीं, यह भी सवाल उठता है कि जिस विधायक को अपने क्षेत्र के अनुमंडल का पता नहीं, उन्हें जनता की समस्याओं का क्या आभास होगा।

सकरा विधानसभा क्षेत्र के आगामी चुनाव की सियासी हलचल अब तेज़ हो चुकी है, और अशोक चौधरी के कार्यकाल पर सवाल उठते रहे हैं। जनता की निगाहें अब उनके और उनके पुत्र के चुनावी अभियान पर हैं।

रिपोर्ट: मनी भूषण शर्मा