bihar news - अष्टमी को सिद्धपीठ मां शीतला के दरबार में भक्तों की उमड़ेगी भीड़, सुरक्षा के लिए की जा रही बैरिकेडिंग

bihar news - अष्टमी को नालंदा के मघड़ा गांव में स्थित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर में आनेवाली भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। न सिर्फ बेरिकेडिंग कराई जा रही है। इसके साथ ही तालाब की भी सफाई कराई जा रही है।

bihar news - अष्टमी को सिद्धपीठ मां शीतला के दरबार में भक्तो
मां शीतला मंदिर में महाष्टमी की तैयारी शुरू- फोटो : PRANAY RAJ

nalanda - मघड़ा गांव में स्थित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर में हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी के अवसर पर भक्तों का विशाल जनसैलाब उमड़ता है। इस वर्ष, अष्टमी 22 मार्च, शनिवार को पड़ रही है, और शुक्रवार सप्तमी से ही दो दिवसीय शीतलाष्टमी मेला की शुरुआत होगी। माता रानी के दर्शन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु मंदिर में पहुंचेंगे। ऐसी मान्यता है कि अष्टमी को एक दर्जन से अधिक गांवों में चूल्हे नहीं जलते हैं ।

मंदिर और मेले की तैयारियां जोरों पर :

मेले को लेकर मंदिर को विशेष रूप से सजाया-संवारा गया है। मंदिर के पास स्थित तालाब की सफाई कर बैरिकेडिंग की जा रही है, क्योंकि मान्यता के अनुसार, पूजा-अर्चना से पहले इस तालाब में स्नान करना शुभ माना जाता है। मंदिर के आसपास पूजन सामग्री, श्रृंगार, खिलौने आदि की दुकानों की रौनक बढ़ गई है, वहीं बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के झूले भी लगाए जा रहे हैं।

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विशेष संयोग: शनिवार को अष्टमी :

ज्योतिषाचार्य प्रभात कुमार मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष शीतलाष्टमी पर विशेष संयोग बन रहा है, क्योंकि अष्टमी शनिवार के दिन पड़ रही है। यह अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस संयोग में माता रानी की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से बरसेगी।

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अष्टमी को नहीं जलेंगे चूल्हे :

मघड़ा और आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों में प्राचीन परंपरा के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी के दिन बसिऔड़ा (ठंडा भोजन ग्रहण करने की परंपरा) मनाया जाता है। इस वर्ष भी शुक्रवार सप्तमी की शाम को लोग भोजन बनाकर अपने घरों की सफाई करेंगे। अष्टमी के दिन किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलाया जाएगा, और श्रद्धालु रात में बनाए गए भोजन को प्रसाद रूप में ग्रहण करेंगे।

मां की प्रतिमा स्थापना की पौराणिक कथा :

ग्रामीणों के अनुसार गांव के एक ब्राह्मण को माता शीतला ने स्वप्न में दर्शन देकर बताया कि उनकी प्रतिमा नदी किनारे एक कुआं के भीतर स्थित है। स्वपन के अनुसार, जब कुए खुदाई की गई, तो मां की प्रतिमा प्राप्त हुई और इसे गांव के तालाब के पास स्थापित कर दिया गया। जिस कुएं से प्रतिमा निकली थी, उसे आज भी "मिट्ठी कुआं" के नाम से जाना जाता है। यह घटना चैत्र कृष्ण सप्तमी को हुई थी और अगले दिन अष्टमी के दिन मां की प्रतिमा की स्थापना की गई थी। तभी से हर वर्ष इस अवसर पर भव्य शीतलाष्टमी मेले का आयोजन किया जाता है। इस शुभ अवसर पर हजारों श्रद्धालु माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उमड़ेंगे और पूरे क्षेत्र में भक्तिमय माहौल बना रहेगा।

report - pranay raj

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