Bihar News: नालंदा में बेटियों का दबदबा, कबड्डी के मैदान में रच रहीं नया इतिहास,'अब खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे नवाब!
Bihar News: राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बिहार की अंडर-18 बालिका कबड्डी टीम ने ज़ोरदार अभ्यास किया है । उनका खेलो इंडिया में स्वर्णिम प्रदर्शन का लक्ष्य है।

Bihar News:नालंदा के राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में इन दिनों एक नई क्रांति आकार ले रही है। बिहार की बेटियां कबड्डी के मैदान में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए दिन-रात पसीना बहा रही हैं। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी खेल नीति ने इन बेटियों के सपनों को नई उड़ान दी है, और अब वे आगामी खेलो इंडिया यूथ गेम्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर बिहार का नाम रोशन करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
अंडर-18 बालिका कबड्डी टीम की कोच रिमी सिंह अपनी टीम की तैयारियों से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि इस बार खिलाड़ियों को पहले से कहीं बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाएं मिल रही हैं। "हमारा एकमात्र लक्ष्य पिछली बार के प्रदर्शन को बेहतर बनाना है और पदक तालिका में बिहार को शीर्ष पर ले जाना है," उन्होंने आत्मविश्वास से कहा।
राज्य सरकार की नई खेल नीति की सराहना करते हुए रिमी सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों को अब प्रशिक्षण, आवास, पोषण और खेल उपकरण जैसी सभी आवश्यक चीजें आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। उन्होंने अतीत की चुनौतियों को याद करते हुए कहा, "पहले संसाधनों की भारी कमी थी, लेकिन अब सरकार के प्रयासों से माहौल पूरी तरह बदल गया है।"
प्रो कबड्डी लीग में महिलाओं की भागीदारी पर बात करते हुए उन्होंने भविष्यवाणी की कि वह दिन दूर नहीं जब बिहार की बेटियां इस प्रतिष्ठित लीग में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती नजर आएंगी। "बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन और एक उचित मंच मिलने की आवश्यकता है," उन्होंने जोर दिया।
उन्होंने वरिष्ठ खेल अधिकारियों और सरकार की सक्रिय भूमिका को खेलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। "रवींद्रन सर जैसे अधिकारी स्वयं मैदान पर आकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, जो हमारे लिए एक बड़ी प्रेरणा है," उन्होंने कहा।
बिहार सरकार की 'खेलों में नौकरी' नीति को रिमी सिंह ने एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा, "यह बदलाव अत्यंत आवश्यक था। बिहार के अधिकांश खिलाड़ी मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं, जिनके पास आय का कोई स्थिर स्रोत नहीं होता। अब खेलों के माध्यम से रोजगार के अवसर खुलने से उनका भविष्य सुरक्षित होगा।"
कोच रिमी सिंह ने जोर देकर कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हुए बिना खिलाड़ियों के लिए लंबे समय तक खेलों में बने रहना मुश्किल होता है। उन्होंने एक पुरानी कहावत को नए संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए कहा, "पहले कहा जाता था - 'खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब', लेकिन अब बिहार में कहा जाता है - 'खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब'। यह सकारात्मक परिवर्तन केवल सरकार की दूरदर्शी नीतियों के कारण ही संभव हो सका है।"
रिमी सिंह ने सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "आज की पीढ़ी को जो सुविधाएं मिल रही हैं, यदि वे हमें भी मिली होतीं, तो हम भी ऊंचाइयों को छू सकते थे। लेकिन संतोष इस बात का है कि अब बिहार की बेटियों का भविष्य उज्ज्वल है और वे खेल के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेंगी।
रिपोर्ट- राज पाण्डेय