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Bihar News : सीएम नीतीश के गृह जिले में जदयू नेता के सामने झुके डीएम, सीसीए लगाना पड़ा महंगा, घर पहुँचानी पड़ी जुर्माने की राशि

Bihar News : नालंदा जिलाधिकारी को अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करना महंगा पड़ गया है. दरअसल जदयू नेता पर लगाये गए सीसीए को पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया और डीएम पर जुर्माना लगाया...

Bihar News : सीएम नीतीश के गृह जिले में जदयू नेता के सामने झुके डीएम, सीसीए लगाना पड़ा महंगा, घर पहुँचानी पड़ी जुर्माने की राशि
नालंदा डीएम पर जुर्माना - फोटो : raj

NALANDA : प्रशासनिक शक्ति के दुरुपयोग की कोशिश नालंदा के जिलाधिकारी को महंगी पड़ गई। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता रिशु कुमार के खिलाफ क्राइम कंट्रोल एक्ट (CCA) लगाने के फैसले को पटना उच्च न्यायालय ने अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। इतना ही नहीं, अदालत ने जिलाधिकारी पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया—एक ऐसा फैसला जो यह संदेश देता है कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे वह कोई अधिकारी हो या आम नागरिक।

7 दिनों में मिला स्टे ऑर्डर, फिर आया ऐतिहासिक फैसला

रिशु कुमार ने डीएम के आदेश को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी और सिर्फ सात दिनों में स्टे ऑर्डर प्राप्त कर लिया। इसके बाद, मामले की विस्तृत सुनवाई के दौरान अदालत ने डीएम द्वारा लगाए गए सीसीए को पूरी तरह से खारिज कर दिया और उनके खिलाफ जुर्माने का आदेश जारी किया।

अवमानना याचिका के बाद झुके डीएम, रिशु कुमार के घर पहुंचा चेक

मामला तब और दिलचस्प हो गया। जब निर्धारित समय सीमा के बाद भी डीएम ने जुर्माना नहीं चुकाया। इस अड़ियल रवैये के खिलाफ रिशु कुमार ने अवमानना याचिका दायर की, जिसके बाद न्यायालय ने 14 फरवरी तक जुर्माना भरने का अंतिम आदेश दिया।

लोकतंत्र की जीत: प्रशासन को झुकना पड़ा

अंततः, 13 फरवरी को एक सरकारी कर्मचारी के माध्यम से डीएम को रिशु कुमार के घर 5,000 रुपये का चेक भिजवाना पड़ा। यह घटना प्रशासनिक मनमानी पर लोकतांत्रिक मूल्यों की ऐतिहासिक जीत के रूप में देखी जा रही है।

रिशु कुमार का बयान: अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए रिशु कुमार ने कहा, "भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। हमारी लड़ाई अन्याय के खिलाफ जारी रहेगी। कोई भी अधिकारी, चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो, लोकतंत्र में मनमानी नहीं कर सकता।" इस ऐतिहासिक फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि सत्ता और प्रशासन की ताकत कानून से ऊपर नहीं है, और न्यायपालिका आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है।

नालंदा से राज की रिपोर्ट

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