Bihar Vidhansabha Chunav 2025: नालंदा की सियासत में संग्राम, बिहारशरीफ में महागठबंधन की दोहरी चुनौती, कांग्रेस-भाकपा आमने-सामने

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के रण में नालंदा जिले की बिहारशरीफ सीट इस बार महागठबंधन के भीतर ही संघर्ष का अखाड़ा बन गई है।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: नालंदा की सियासत में संग्राम,
नालंदा की सियासत में संग्राम- फोटो : reporter

Bihar Vidhansabha Chunav 2025:  बिहार विधानसभा चुनाव के रण में नालंदा जिले की बिहारशरीफ सीट इस बार महागठबंधन के भीतर ही संघर्ष का अखाड़ा बन गई है। नामांकन वापसी की समय सीमा खत्म होने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस के उमैर खान और भाकपा के शिवकुमार यादव उर्फ सरदार जी दोनों ही मैदान में डटे रहेंगे। इस वजह से महागठबंधन के अंदर तालमेल और समन्वय पर संकट गहराता जा रहा है।

दोनों ही उम्मीदवार अपने-अपने समर्थकों के साथ जनसंपर्क अभियान में पूरी ताकत झोंक चुके हैं। बुधवार को भाकपा प्रत्याशी शिवकुमार यादव ने राजद कार्यालय पहुंचकर जिलाध्यक्ष अशोक कुमार हिमांशु से मुलाकात की और अपने पक्ष में सक्रिय सहयोग की मांग की।

उन्होंने कहा कि राजद महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है, इसलिए हम उनसे समर्थन मांगने आए हैं। पहले आश्वासन दिया गया था कि कांग्रेस प्रत्याशी नाम वापस ले लेंगे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। यदि 24 घंटे में स्थिति स्पष्ट नहीं हुई तो हम अपने प्रचार से कांग्रेस नेताओं की तस्वीरें और झंडे हटा देंगे।

शिवकुमार यादव ने यह भी कहा कि अगर तेजस्वी यादव महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी को आधिकारिक उम्मीदवार घोषित करते हैं, तो वे पीछे हटने को तैयार हैं।

अन्यथा, उन्होंने दो टूक कहा कि अब मुकाबला दोस्ताना नहीं, खुला होगा।

वहीं, राजद जिलाध्यक्ष अशोक कुमार हिमांशु ने बयान दिया कि अब तक शीर्ष नेतृत्व से कोई निर्देश नहीं मिला है। दोनों पक्षों की बात महागठबंधन नेताओं तक पहुंचा दी गई है। जो भी निर्णय वरीय नेता लेंगे, कार्यकर्ता उसी का पालन करेंगे।

इस दोहरी चुनौती ने न केवल महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़ा कर दिया है, बल्कि बिहारशरीफ के चुनावी समीकरण भी बदलते दिख रहे हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एक ही गठबंधन के दो उम्मीदवारों के मैदान में होने से वोटों का बिखराव तय है, जिसका सीधा लाभ एनडीए को मिल सकता है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि तेजस्वी यादव और शीर्ष नेतृत्व इस पेचीदा स्थिति का समाधान कैसे निकालते हैं कि क्योंकि बिहारशरीफ अब सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि महागठबंधन की एकता और नेतृत्व क्षमता की असली परीक्षा बन चुका है।

रिपोर्ट- राज पाण्डेय