Bihar Politics: राजद की बैठक, विधायक की कार्यशैली पर उठे सवाल

Bihar Politics: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र आयोजित जमावड़े में विकास कार्यों की रफ्तार, जनता की मुश्किलें और मौजूदा विधायक की कार्यशैली पर खुलकर बहस हुई।

Bihar Politics: राजद की बैठक, विधायक की कार्यशैली पर उठे सवा
राजद की बैठक- फोटो : reporter

Bihar Politics:अस्थावां विधानसभा क्षेत्र के मुस्तफापुर में आज सियासत का पारा अचानक चढ़ गया, जब राजद के  नेता संजय राजेश ने अपने कार्यालय में स्थानीय जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक अहम बैठक बुलाई। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र आयोजित इस जमावड़े में विकास कार्यों की रफ्तार, जनता की मुश्किलें और मौजूदा विधायक की कार्यशैली पर खुलकर बहस हुई।

बैठक में माहौल खासा जोशीला रहा। कार्यकर्ताओं ने खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर की और इलाक़े में जारी बदहाली का ज़िक्र करते हुए कहा कि वर्षों से सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे बुनियादी मसलों पर कोई ठोस पहल नहीं हुई। इस मौके पर संजय राजेश ने तल्ख़ लहजे में कहा  “जनता अब सब्र की आख़िरी हद पर है। बीते दो दशकों से जो नेतृत्व चल रहा है, उस पर पुनर्विचार का वक्त आ चुका है। मौजूदा विधायक को अब आराम फरमाना चाहिए और नए प्रतिनिधि को मौक़ा देना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि महागठबंधन इस बार चुनावी मैदान में सिर्फ़ वादों के सहारे नहीं उतरेगा, बल्कि जनता के असल मुद्दों को लेकर एनडीए सरकार को घेरने की रणनीति अपनाएगा। संजय राजेश ने दावा किया कि मौजूदा सरकार ने किसान, मज़दूर और युवाओं के भरोसे के साथ धोखा किया है। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज़ में कहा  “इस बार चुनावी रण में जवाब सिर्फ़ वोट से मिलेगा। जनता अब जुमलों से बहलने वाली नहीं।”

सियासी हलकों में इस बयान को सीधे मौजूदा विधायक पर हमला माना जा रहा है। स्थानीय जानकारों का कहना है कि यह बयान आने वाले चुनाव में पत्तों की जमावट बदल सकता है। महागठबंधन की ओर से अस्थावां सीट पर संजय राजेश को मज़बूत दावेदार के रूप में पेश करने की तैयारी तेज़ हो चुकी है।

बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा  “हमारे गाँव-कस्बे के नौजवान रोज़गार की तलाश में परदेस भटक रहे हैं, खेतों में पानी की किल्लत है, स्कूलों में मास्टर नहीं और अस्पतालों में दवा नहीं। अब बदलाव ज़रूरी है।”

अस्थावां की गलियों और चौराहों पर अब एक ही चर्चा है  क्या 20 साल पुरानी सियासी बिसात पलटने वाली है? चुनावी रणभूमि में यह सवाल आने वाले दिनों में और भी गर्म होने वाला है।

रिपोर्ट- राज पाण्डेय