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PATNA HIGHCOURT - सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्टों की कमी को लेकर बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाएं, हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिया निर्देश

PATNA HIGHCOURT – सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट की कमी को लेकर होनेवाली परेशानियों को लेकर हाईकोर्ट ने बिहार स्टेट फॉर्मेसी काउंसिल को पार्टी बनाने के लिए कहा है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।

 PATNA HIGHCOURT - सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्टों की कमी को लेकर बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाएं, हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिया निर्देश
फार्मासिस्ट पर हाईकोर्ट में सुनवाई- फोटो : NEWS4NATION

PATNA - पटना हाईकोर्ट में राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 14 फरवरी 2025 को की जाएगी। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की   खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। 

कोर्ट ने पूर्व में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाने सम्बन्धी याचिका स्वीकार कर लिया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाये। कॉउन्सिल भी कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करेगा।

 कोर्ट ने इस मामले पर  सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था। ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में लगभग दस हजार अस्पताल है,जबकि निबंधित फरमासिस्टों की संख्या 6 सौ से कुछ अधिक है।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखें गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है। उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही ये लोग मरीजों को दवा देते है,जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना हैं।

 उन्होंने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को रखते हुए कहा था इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट,1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए।

ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें,क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को जाएगी।

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