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थानेदार की मनमर्जी खुद पर ही पड़ गई भारी ,कोर्ट ने उतार दिया पूरा पानी,अब क्या होगा

भोजपुर जिले के नवादा थानाध्यक्ष पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना के कारण वेतन पर रोक लगा दी गई है। न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए।

थानेदार की मनमर्जी खुद पर ही पड़ गई भारी ,कोर्ट ने उतार दिया पूरा पानी,अब क्या होगा
नवादा थानाध्यक्ष - फोटो : social media

Nawada police: भोजपुर जिले के नवादा थानाध्यक्ष को न्यायालय के आदेश की बार-बार अवहेलना करना भारी पड़ गया। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मनोज कुमार प्रथम ने 2016 के एक विधि वाद मामले में थानाध्यक्ष के वेतन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही पुलिस अधीक्षक भोजपुर को उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करने का निर्देश दिया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि: न्यायालय के आदेश का उल्लंघन

1. न्यायालय में लंबित मामला:

यह मामला वर्ष 2016 से न्यायालय में विचाराधीन था।

न्यायालय ने कई बार आदेश जारी किए, लेकिन थानाध्यक्ष ने उनका पालन नहीं किया।

2. थानाध्यक्ष की लापरवाही:

थानाध्यक्ष बार-बार अदालत के आदेशों का पालन करने में विफल रहे।

न्यायालय ने इसे गंभीर अवमानना मानते हुए कड़ा रुख अपनाया।

न्यायालय का निर्णय और आदेश

1. वेतन पर रोक:

न्यायालय ने थानाध्यक्ष के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।

2. पुलिस अधीक्षक भोजपुर को निर्देश:

न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया है कि वे थानाध्यक्ष के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करें।

विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

न्यायालय के आदेश की अवहेलना: गंभीर परिणाम

1. न्यायिक प्रणाली का सम्मान:

न्यायालय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

यह निर्णय सरकारी अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराने के लिए लिया गया है।

2. कानून और अनुशासन का संदेश:

न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना कानून व्यवस्था की नींव है।

थानाध्यक्ष की इस लापरवाही को गंभीर अवमानना मानते हुए सख्त कदम उठाए गए हैं।

पुलिस विभाग के लिए चेतावनी

यह घटना भोजपुर जिले में पुलिस प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। कानून और न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना हर अधिकारी की प्राथमिकता होनी चाहिए। न्यायालय ने यह संदेश दिया है कि लापरवाही और आदेशों की अनदेखी के लिए कोई स्थान नहीं है।

नवादा थानाध्यक्ष

नवादा थानाध्यक्ष के खिलाफ न्यायालय द्वारा लिया गया यह निर्णय कानून और अनुशासन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। सरकारी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों और न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए, अन्यथा उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

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